Chaibasa:- ऑल इंडिया हो लैंग्वेज एक्शन कमिटी के द्वारा दिल्ली जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में हो भाषा को शामिल करने की मांग की गई. धरना के पश्चात प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय के कार्यलय में ज्ञापन सौंपा गया.

ऑल इंडिया हो लैंग्वेज एक्शन कमिटी के राष्ट्रीय सचिव सुरा बिरुली ने कहा कि भाषा किसी क्षेत्र के इतिहास सांस्कृति जनता शासन प्रणाली परिस्थितिकी राजनीति आदि की सूचक है. आस्ट्रिक समूह में हो भाषा की एक भाषा जो झारखंड के साथ ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम के कुछ भागों में व्यपार रूप से बोली जाती है. हो भाषा वारंग चिति लिपि में लिखी जाती है. यह हो भाषा को झारखंड सरकार ने द्वितीय राज्यभाषा के रूप में मान्यता दी है. हो भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल करने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे.

कमिटी के राष्ट्रीय महासचिव लक्ष्मीधर सिंह तियु ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में हो भाषा को शामिल करने की मांग आमजन द्वारा लगातार की जाती रही है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष रामराय मुंदुईया ने कहा कि झारखण्ड के विद्यालयों में महाविद्यालयों, विश्विद्यालय स्तर पर “हो” भाषा की पढ़ाई जाती है. जेपीएससी में हो भाषा से परीक्षा ली जाती है फिर भी हो भाषा को राष्ट्रीय मान्यता नही दी गई. वर्षो से भाषा की मान्यता के लिए संघर्षरत भाषा प्रेमी गिरीश हेम्ब्रोम, गंगाधर हेम्ब्रोम, जीवन सिंह मुंदुइया, (ओडिशा) विजय सिंह सुम्बुरुई, गब्बर सिंह हेम्ब्रोम (झारखंड), जगरनाथ केराई (पश्चिम बंगाल), सुरेन चातर(असम), बलभद्र बिरुआ (दिल्ली), बिर सिंह बिरुली, शान्ति सिदृ, माधवी बानसिह, निकिता बिरुली, मोसो सोय, शंकर चतोम्ब, बामिया चम्पिया शामिल थे.

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