Jamshedpur :- राज्य के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता, 2 मंत्री, 2 उपायुक्त, 2 रिटायर डीएसपी, 3 चर्चित पत्रकार, 2 समाजसेवी, 3 बड़े अस्पताल और साई मानवसेवा ट्रस्ट जैसी संस्था की सक्रियता के बावजूद डॉक्टर लापरवाही बरतने में सफल रहे. ये लापरवाही ही तो वजह थी कि सरायकेला जिले के राजनगर ब्लाॅक का एक 11 वर्षीय बच्चा सलखू सोरेन कुव्यवस्था की भेंट चढ़ गया.

कुव्यवस्था की मार ऐसी पडी़ की दीवाली से पहले राजनगर के सलगढिया गाँव के मजदूर बोढा़ सोरेन के घर का चिराग ही बुझ गया. जानकारी के मुताबिक लगभग 11 वर्षीय बच्चे सलखू सोरेन की 10 दिन पहले शौच प्रक्रिया बंद होने से पेट में दर्द हो रहा था. लालकार्ड धारी होने के कारण परिजन सलखू को हाता में पूर्व सीविल सर्जन एके लाल के नर्सिंग होम तारा अस्पताल ले गये जहाँ डाॅक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए. सभी उपाय करने के बाद जब वे लोग 21 तारीख को राजनगर सीएचसी गये तो वहाँ से भी एमजीएम जाने की सलाह दी गई. परिजन के पास फूटी कौड़ी नहीं थी और गरीबी ऐसी कि बोडा़ के हालात उसे झकझोर रहे थे. विवश होकर उसने साई मानवसेवा ट्रस्ट की महिला ईकाई की अध्यक्ष नीतू दुबे से संपर्क किया. ट्रस्ट के संरक्षक और पत्रकार प्रीतम भाटिया ने इसे उस क्षेत्र के मंत्री चंपाई सोरेन को ट्वीटर पर जानकारी के साथ टैग किया. 21 अक्टूबर की रात 10.20 बजे ही ट्वीटर पर मंत्री ने संज्ञान लिया और डीसी सरायकेला व सीविल सर्जन को निर्देशित कर दिया. इस रात सलखू तड़प रहा था और परिजन आर्थिक तंगी के कारण एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कर पा रहे थे. यह जानकारी सीएचसी प्रभारी डाॅ. जगन्नाथ हेंब्रम को 21 की रात 11 बजे प्रीतम भाटिया ने फोन कर दी, तब वे हेंब्रम सो रहे थे. खैर जगन्नाथ हेंब्रम ने फोन उठाया और अगले दिन एंबुलेंस देने की बात कही. 22 की सुबह सलखू की हालत ख़राब होता देख और सरकारी प्रक्रिया में हो रही देर के कारण ट्रस्ट को फिर संपर्क किया गया. किसी तरह चंदा जुटाकर परिवार के लोग जमशेदपुर के सदर अस्पताल आए जहाँ लगभग सुबह के 11 बज चुके थे. सदर अस्पताल ने बच्चे की हालत देख परिजनों को एमजीएम जाने की सलाह दी. तब तक इस मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व सांसद डॉक्टर अजय कुमार ने भी संज्ञान लिया और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता व डीसी जमशेदपुर को ट्वीटर पर टैग कर सहयोग करने की मांग की. तब तक परिजन एमजीएम पहुँच गए थे.

एमजीएम में किसी प्रकार ईलाज शुरू हुआ और सभी उपाए किए जाने लगे. लेकिन यहाँ भी नतीजा सिफर ही रहा और डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े लिए, एमजीएम ने परिजनों को रिम्स जाने की सलाह दी. इस बीच ट्रस्ट और प्रीतम भाटिया ने सलखू की जानकारी ट्वीटर पर फिर से शेयर की जिसके बाद मंत्री चंपाई सोरेन के कार्यालय ने परिजनों को एंबुलेंस से रिम्स भेजने की व्यवस्था की.

अब जरा रिम्स के हालात पर भी गौर करें कि इतने ट्वीट और संज्ञान लेने के बाद जब सलखू राजधानी पहुँचा तो क्या हुआ?

22 अक्टूबर की शाम लगभग 5.30 से 6.00 के बीच सलखू को रिम्स के रूम नंबर 225 में डॉक्टर ए.रंजन की निगरानी में भर्ती कराया गया. वहाँ भी साई मानव सेवा ट्रस्ट के सदस्य ऐतेशाम आलम खुद पहुंच गए थे और वे डाॅक्टर व परिजनों से बात कर रहे थे कि सलखू का बेहतर ईलाज कैसे हो.

रिम्स में सरकारी प्रक्रियाओं की जटिलता कहें या कुव्यवस्था वहाँ अल्ट्रासाउंड से लेकर ब्लड टेस्ट तक बाहर से कराने की सलाह दी गई. डाॅक्टर बोले बच्चे के जल्द ऑपरेशन के लिए आप इसे बाहर से करवा लें क्योंकि अस्पताल में देर से रिपोर्ट मिलेगी. परिजनों के पास तो पैसे ही नहीं थे अब उन्हें इंतज़ार करना ही पड़ा. बोढा़ सोरेन अपनी आँखों के सामने बच्चे को तिल-तिल मरता देख रहा था कि बच्चे के लिए रिम्स जैसे अस्पताल के पास भी व्यवस्था नहीं है. बोढा़ तो ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाता था कि वह डाॅक्टरों से बात कर अपनी पीड़ा बता सके. उसका भतीजा दुर्गा सोरेन ही सभी से बात करता था चाहे ट्रस्ट के सदस्य हों या पत्रकार वह सभी को फोन कर हाल-ए-रिम्स बयाँ करता रहा.

जब किसी अस्पताल में एक छोटे और दो बड़े अस्पतालों से रेफर होकर 150 किलोमीटर दूर मंत्री के विधानसभा क्षेत्र से ट्वीट के बाद कोई बच्चा रिम्स पहुँचता है, तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. खैर इस मामले में रिम्स पर न स्वास्थ्य मंत्री और न परिवहन मंत्री का जोर काम आया और रातभर तड़पता बच्चा आज सुबह काल के गाल में समा गया. सलखू की मौत ने इस बात का खुलासा कर दिया कि रिम्स में लाख पैरवी के बावजूद कुव्यवस्था और लापरवाही बरकरार रही. सलखू की मौत ने यह भी खुलासा कर दिया कि चाहे कितने ही ट्वीट हो जाएं लालकार्डधारी को आयुष्मान का लाभ नहीं मिला.

सलखू की मौत ने यह भी खुलासा कर दिया कि अगर राजनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास एक भी एंबुलेंस होता तो सलखू 3-4 दिन पहले ही एमजीएम आ गया होता. सबके घर धनतेरस और दीवाली की तैयारी शुरू हो चुकी थी शायद किसी ने सलखू के कराहने की आवाज़ न सुनी हो. कल बम और पटाखों की आवाज़ में शायद सलखू के परिजनों की चित्कार भी दब कर रह जाए. लेकिन यह मामला उच्चस्तरीय जाँच का है. साईं मानवसेवा ट्रस्ट के संरक्षक और रिटायर्ड डीएसपी हजारीबाग निवासी बीएन सिन्हा इस मामले को लेकर कल सरायकेला उपायुक्त के कार्यालय गए थे. लेकिन उपायुक्त कार्यालय में नहीं बल्कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में व्यस्त थे. वे उपायुक्त को मामले की जानकारी देते और ब्रह्मानंद जैसे बड़े अस्पताल में बच्चे का ईलाज होता क्योंकि बच्चा लालकार्ड धारी था और उसे आयुष्मान योजना का लाभ मिल जाता.

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