Sarikela : रक्तदान जीवनदान है, रक्त का कोई विकल्प नहीं है. यह बात सभी जानते हैं लेकिन जमशेदपुर का यह शख्स इस बात की अलख बीते 37 वर्षों से लगातार जगा रहा है, अपने दृढ़ संकल्प से इन्होंने अब तक 113 बार रिकॉर्डेड और 20 बार अनरिकॉर्डेड रक्तदान का खिताब अपने नाम किया है।

       अपने परिवार के साथ अरुण पाठक
हम बात कर रहे हैं जमशेदपुर के निवासी और आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में विगत कई वर्षों से सफलतापूर्वक उद्यमी के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुके अरुण पाठक की. रक्तदान में पहले शतक वीर बनकर इन्होंने खूब प्रसिद्धि बटोरी. अपने इसी दृढ़ संकल्प को लेकर ये आगे बढ़ रहे हैं. जिसमें इन्होंने अब तक 200 से भी अधिक लोगों को रक्तदान के प्रति प्रेरित किया है. अरुण पाठक बताते हैं कि, कॉलेज के दिनों में पहली बार सन 1985 जब एबीवीपी द्वारा रक्तदान शिविर आयोजित किया गया था तो इन्होंने पहली बार उसमें हिस्सा लिया. रक्तदान कर इन्हें महसूस हुआ कि इस नेक काम को आगे जरूर बढ़ाना चाहिए. जिसके बाद अरुण पाठक ने हमेशा 90 दिनों के अंतराल पर नियमित रूप से रक्तदान का सिलसिला शुरू किया.
जन्मदिन पर रक्तदान कर बनाया मिसाल अब ट्रेंड
उद्यमी अरुण पाठक ने रक्तदान के प्रति अपने स्नेह को और बढ़ाने के उद्देश्य से जन्मदिन के मौके पर नियमित रूप से रक्तदान करने का भी मिसाल बनाया. जो अब धीरे-धीरे ट्रेंड में आ गया है. अब कई लोग अपने जन्मदिन पर रक्तदान कर रहे हैं. अरुण पाठक बताते हैं कि डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही इनकी बेटी और मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर मैनेजर कार्यरत बेटा भी इनके इस पैशन को अपना रहे हैं.
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