Chaibasa:- श्री गुरु सिंह सभा द्वारा चाईबासा गुरुद्वारा में सिखों के पांचवे गुरू श्री अर्जुन देवजी का 415 वीं शहीदी दिवस मनाया गया। 23 अप्रैल को गुरुद्वारा साहिब में श्री सुखमनी साहिब का पाठ आरंभ किया गया था। इसकी समाप्ति शुक्रवार 3 जून 2022 को हुई।

इस अवसर पर चाईबासा में भी पिछले 40 दिनों से सुखमनी साहिब का पाठ चल रहा था। आज समापन पर अरदास करके सुबह 8 बजे से 11 बजे दिन तक चाईबासा गुरुद्वारा में और उसके बाद 11 बजे से 3 बजे तक बस स्टैण्ड के पास भी छबील लगाई गई। जिसमें सभी लोगों को मीठा ठंडा शरबत एवं चने का प्रसाद बाँटा गया।

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गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी बलदेव सिंह द्वारा श्री अर्जुन देवजी की जीवनी पर प्रकाश डाला गया। उनकी शहादत की पूरी जानकारी साध संगत को दी गई। श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष गुरमुख सिंह खोखर द्वारा श्री गुरु अर्जुन देव जी का पूरा जीवनी एवं धर्म रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी पर पूरा प्रकाश डाला। उस समय कैसे हालत थे, लोगों पर किस तत्कालीन राजाओं के द्वारा जुल्म ढाए जा रहे थे। धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को तरह-तरह की यातनाएँ दी जा रही थी। श्री गुरु अर्जुन देव जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपनी शहीदी दी।

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धर्म एवं वतन की रक्षा के लिए सुरक्षा के लिए सिखों में उनके गुरुओं का खून है जो हमेशा ही शहीदी देने को तैयार रहते है। आज से 415 साल पहले पंचम गुरु श्री अर्जुन देव द्वारा धर्म की रक्षा के लिए लाहौर में शहादत दी थी। इस शहादत ने “तेरा किया मीठा लागे हर नाम पदारथ नानक मांगे” के पावन फरमान को प्रत्यक्ष साकार किया।

ऐसे पातशाह ही शहीदी सिख पंथ के लिए अजीम शहादत की मूल भावना तथा इसके पीछे क्रियाशील ऊँचे मनोरथ को समझने का एक योग्य अवसर है। इसे सिख समाज को अनुपालन करना चाहिए। पंचम पातशाह द्वारा पंजाब में बसाई गई गुरूनगरी श्री तरन तरन साहिब आज शहादत दिवस को काफी जोर शोर तथा उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। श्री गुरु सिंह सभा चाईबासा के प्रधान गुरमुख सिंह खोखर ने कहा कि सिख कौम सुरवीर योद्धाओं की कौम है। सिख कौम में शहादतों तथा कुर्बानियों के कारनामें भरे पड़े है। उन्होंने कहा कि सिख कौम में धर्म की रक्षा तथा वतन की सरहदो की सुरक्षा के लिए अनेकों शहादते दी है। अनेकों कुर्बानियां दी है। शहीद आजम सरदार भगत सिंह की शहादत को सारा वतन याद करता है।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में गुरमुख सिंह खोखर, सुरेन्द्र पाल सिंह, जशपाल सिंह, सतपाल सिंह, सतनाम सिंह, हरजीत सिंह, दलविंदर सिंह एवं युवा खालसा के रौनक सिंह खोखर, गगनदीप सिंह वालिया, नवजीत सिंह भमरा, कमलजीत सिंह मारवाह, सस्वजीत सिंह, सतनाम सिंह, दलविंदर सिंह, हरप्रीत, जसप्रीत, तेजपाल, गोल्डी, जसवीर सिंह तथा साथ में स्त्री सत्संग का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

 

 

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