Chaibasa (चाईबासा) : झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा के तत्वावधान में जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

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कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अथिति प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला, विशिष्ट अतिथि प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय योगेश्वर मनी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय सूर्य भूषण ओझा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय तरुण कुमार, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार राजीव कुमार सिंह एवं प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी पूजा पांडेय ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्जवलित कर किया.

जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यक्रम


अपने संबोधन मे प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश श्री विश्वनाथ शुक्ला ने उपस्थित हितधारकों को इस कार्यक्रम का अधिकतम लाभ उठाने की अपील की, उन्होंने कहा कि यह महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम हितधारकों के कार्य में गुणवत्ता लाने और उच्च परिणाम प्रदान करने में सक्षम होगा.

जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यक्रम में उपस्थित लोग


मुख्य वक्ता के रूप में प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय श्री योगेश्वर मणि ने पॉक्सो और बाल सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान किया, उन्होंने गोद लेने की प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए कहा कि हमारे देश में बच्चों को गोद लेने के लिए कारा सक्षम प्राधिकार होता है, जिसमें गोद लेने वाले संभावित अभिभावक सीधे आवेदन कर सकते हैं, जिसके माध्यम से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया सम्पन्न होती है.


उन्होंने बच्चों के सरंक्षण के संबंध में किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत विभिन्न धाराओं की व्याख्या करते हुए, बाल कल्याण समिति को बाल संरक्षण से जुड़े मामले में सबसे महत्त्वपूर्ण और अधिकार प्राप्त प्राधिकार बताया, बाल कल्याण समिति को देख रेख की श्रेणी वाले बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण का पूर्ण अधिकार प्राप्त है, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को उनकी पुनर्वास की जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने पॉक्सो कानून के विभिन्न अनछुए पहलुओं पर भी विस्तार से जानकारी दी.


बाल आधिकारों की जानकारी देते हुए झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य विकास दोदराजका ने इस मौके पर कहा कि देश में बाल आधिकार को विभिन्न अधिनियमों में वर्णित किया गया है जो उनकी सुरक्षा, संप्रभुता, विकास और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है.


उन्होंने 1989 में संयुक्त राष्ट्र संघ की आयोजित कन्वेंशन में बच्चों के अधिकार पर पारित निर्णयों की जानकारी भी प्रदान की, भारत में निशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा को भी बच्चों के मूल अधिकार के रुप में लागू किया है.


प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी पूजा पांडेय ने भी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में कई बातों पर विचार किया जाता है. जिसमें पुलिस की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. नए न्यायिक विधान में बालकों की सुरक्षा के कई पहलुओं को शामिल किया गया है. हमे उम्मीद है कि आज की इस कार्यशाला से लोगों को लाभ होगा. स्वागत भाषण प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने किया जबकि मंच का संचालन विकास दोदराजका ने किया.


इस अवसर पर उप विकास आयुक्त संदीप मीणा सहित बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी और बाल संरक्षण से संबंधित हितधारक उपस्थित थे.

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