Chaibasa (चाईबासा) : कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर सोमवार से आरंभ हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ का समापन बुधवार को श्रद्धा और सत्कार के साथ किया गया। श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन राय भोए दी तलवंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था, जो आज ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है।
समापन उपरांत श्री निसान साहिब को जल और दूध से स्नान करवाकर नया वस्त्र चढ़ाया गया तथा अरदास के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया। छोटे-छोटे बच्चों ने शब्द पाठ के माध्यम से अपनी भक्ति अर्पित की।
जमशेदपुर से आए हरि शरण सिंह, अमृत कौर और ओंकार सिंह ने संगीत वाद्यों के साथ भावपूर्ण गुरबाणी कीर्तन कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। “सतगुरु नानक प्रगटया, मिटी धुंध जग चानण होआ” कीर्तन ने संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया।
श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष गुरमुख सिंह खोखर ने संगत को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि श्री गुरु नानक देव जी ने दुनिया भर में यात्राएं कर भाईचारे, प्रेम और एकता का संदेश फैलाया। वे भारत, नेपाल, तिब्बत से लेकर मक्का-मदीना और ईरान-इराक तक गए और “मानस की जात एक ही पहचाणो” का संदेश दिया। 1539 में करतारपुर साहिब में उन्होंने ज्योति ज्योत समाई।
संगत ने अरदास उपरांत लंगर का प्रसाद ग्रहण किया। झींकपानी, केशरगढ़िया और राजखरसांवा सहित आसपास क्षेत्रों की संगत ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। रात्रि में स्त्री सत्संग द्वारा कीर्तन कार्यक्रम, प्रसाद वितरण और आतिशबाजी का आयोजन किया गया।
इस गुरुपर्व के सफल आयोजन में श्री गुरु सिंह सभा, स्त्री सत्संग सभा और युवा खालसा के सदस्यों की अहम भूमिका रही।