चाईबासा सदर अस्पताल मामले में एसडीओ (SDO) की आधिकारिक जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। इस रिपोर्ट ने उन तथ्यों की पुष्टि की है जो स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने पहले ही मीडिया के सामने रखे थे।
चाईबासा : चाईबासा सदर अस्पताल में बच्चे के शव को थैले में ले जाने के वायरल वीडियो मामले की आधिकारिक जांच रिपोर्ट सदर अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) ने उपायुक्त को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो दर्शाते हैं कि यह घटना संसाधनों की कमी और परिस्थितियों के संयोग का परिणाम थी।
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4 साल नहीं, महज 4 माह का था मासूम
सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के उलट, जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि मृत बच्चे (कृष्ण चातोम्बा) की उम्र लगभग 4 वर्ष नहीं बल्कि मात्र 4 माह थी। बच्चा नोवामुंडी के बालजोड़ी गांव का रहने वाला था।
मलेरिया पॉजिटिव था बच्चा, परिजनों ने एमजीएम जाने से किया था इनकार
रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे को 18 दिसंबर 2025 को बुखार और दस्त की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया था। जांच में वह मलेरिया पॉजिटिव पाया गया। डॉक्टरों ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए जमशेदपुर (MGM) रेफर करने की सलाह दी थी, लेकिन पिता ने चाईबासा में ही इलाज जारी रखने की इच्छा जताई थी।
शव वाहन की देरी का कारण: एक मनोहरपुर में, दूसरा दुर्घटनाग्रस्त
जांच में पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन के लिए प्रयास किया था। हालांकि:
- अस्पताल का एक वाहन पहले से ही दुर्घटनाग्रस्त था।
- दूसरा उपलब्ध वाहन उस समय मनोहरपुर में था। शव वाहन शाम 4:40 बजे अस्पताल पहुँचा, लेकिन तब तक पिता शव लेकर जा चुके थे।
वार्ड में भारी दबाव: 33 बच्चों पर सिर्फ 2 नर्सें
रिपोर्ट में अस्पताल की बदहाली और स्टाफ की कमी का भी जिक्र है। जिस समय यह घटना हुई, उस वार्ड में 33 बच्चे भर्ती थे, जिनकी देखभाल के लिए मात्र दो नर्सें तैनात थीं। अत्यधिक व्यस्तता के कारण नर्सों को यह पता ही नहीं चल पाया कि पिता कब बच्चे का शव लेकर वहां से निकल गए।
स्वास्थ्य मंत्री के बयानों की हुई पुष्टि
विशेष बात यह है कि जांच रिपोर्ट में दी गई दलीलें ठीक वही हैं, जो स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने रिपोर्ट आने से काफी पहले मीडिया के साथ साझा की थीं। इससे यह संकेत मिलता है कि विभाग को जमीनी हकीकत की जानकारी पहले से थी।
सुधार की सिफारिशें:
जांच अधिकारी ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
- क्षतिग्रस्त शव वाहन की तत्काल मरम्मत कराई जाए।
- अस्पताल प्रबंधन और मैनपावर (स्टाफ) में सुधार किया जाए।
- प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सुधारात्मक कदम जल्द उठाए जाएंगे।

