Chaibasa :- 25 मार्च को महिला कॉलेज के इतिहास विभाग में हो आदिवासियों के शहादत की स्मृति में शहीद दिवस मनाया गया. 25 मार्च 1820 ई० में जिन वीर हो आदिवासियों ने कोल्हान के जल, जंगल और जमीन की रंग करने के लिए अपने प्राणों की आदि दी थी उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित की गई. कार्यक्रम का स प्राचार्या डॉ प्रीतिबाला सिन्हा, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ जल्लिता सुन्ही और डॉ अंजना सिंह ने संयुक्त रूप से गोप प्रज्वल्लित कर किया. प्राचार्या डॉ प्रीतिबाला सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि स्थानीय इतिहास को भी राज्य और देश के इतिहास में उचित स्थान मिलना चाहिए इससे इतिहास और समृद्ध होगा.

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डॉ ललिता सुन्डी ने शहीद पार्क के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1820 ई. में जब मेजर रफसेज कोल्हान पर अधिकार करने के लिए आगे बढ़े अंग्रेजों और हो आदिवासियों में भीषण युद्ध हुआ. जिसमें लगभग तब नरसंडा गाँव के समीप 130 हो आदिवासी मारे गए. इससे हो लोग आक्रोशित होकर अपने पारंपरिक हथियारों से लैस होकर एक जगह एकत्र होने लगे. तब रफसेज ने अपने सेनापति को आदेश दिया कि उस एकत्र भीड़ पर गोली चला दी जाए. शहीद पार्क के उसी परिसर में लगभग 50 हो आदिवासियों को अंग्रेजों ने गोलियों से भून डाला. बाद में इन शहीदों की याद में ब्रिटिश सहकार उसी स्थल पर पार्क का निर्माण करवाया. इस पार्क उद्‌घाटन ने के 6 अक्टूबर 1937 को ब्रिटिश सरकार के तत्कालिन बिहार गवर्नर सर मॉरिस हैलेट ने किया था.

डॉ ललिता सुन्डी ने झारखण्ड सरकार और स्थानीय प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए यह मांग की है कि प्रशासन का ध्यान शहीद पार्क को ऐतिहासिक स्थल घोषित किया जाए. इसके प्रवेश द्वार के समीप सूचनापट्ट लगाकर इसके इतिहास को लिपि बद्ध किया जाय और शहीदों की याद में हो परंपरा के अनुसार बिड़दिरी गाड़ा जाए. इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंजना सिंह और धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत के विभागाध्यक्ष 510 पप्पू कुमार यादव ने किया. इस कार्यक्रम में पी.जी. और यू.जी. की सभी सेमेस्टर की छात्राएँ उपस्थित थीं.

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