Chaibasa:- पश्चिमी सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष राजकुमार ओझा और महासचिव पंकज भालोटिया के नेतृत्व में एक सांकेतिक रैली सदर बाजार में निकाली गई। इसमें झारखंड विधानसभा में पारित झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक 2022 को लागू नहीं करने के लिए हमारी संबंधित संस्था फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज रांची के निर्देशानुसार 19 अप्रैल और 20 अप्रैल को काला बिल्ला लगाकर विरोध किया गया और साथ में झारखंड में पुनः 2 फ़ीसदी एवं 1 फ़ीसदी कृषि बाजार शुल्क वसूलने की प्रक्रिया आरंभ करने की सूचना के विरुद्ध हम लोगों ने एक सांकेतिक रैली निकाली झारखंड में कृषि उपज पर कृषि शुल्क दिए जाने पर राज्य में कृषि उपज के उत्पादन और इसके विपणन संबंधी प्रसंस्करण उद्योग एवं व्यापार में भारी कमी आएगी। क्योंकि कृषि उपज के व्यवसाय और उद्योगों का विपणन झारखंड राज्य के निकटवर्ती राज्य योजना बिहार पश्चिम बंगाल उड़ीसा आदि राज्यों में हो जाएगा। जहां पर कृषि शुल्क की दर शून्य है इससे किसानों की उपज की स्थानीय मांग घटने और उन्हें अपनी उपज की कीमत कम प्राप्त होगी वही सरकार को कृषि शुल्क से प्राप्त राशि से कहीं अधिक नुकसान जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व में कमी आने से होगी। झारखंड में शुल्क समाप्त होने से काफी संख्या में कृषि उपज प्रसंस्करण के उद्योग तथा राइस मिल भी राज्य में स्थापित हुए और झारखंड में राइस मिल की स्थापना से धान की मांग बढ़ी और उसी अनुरूप खेती भी बढ़ गई। शुल्क समाप्त होने से राज्य में कृषि उपज की बिक्री बढ़ी जिससे स्थानीय कृषकों में आकर्षण भी खेती के प्रति बड़ा स्मरणीय है कि झारखंड मुख्य रूप से एक उपभोक्ता राज्य है जहां अधिकतर कृषि उत्पादित वस्तुओं एवं अन्य राज्यों से आयातित होती है। ऐसे में बाहर से आयातित होने वाली वस्तुओं पर शुल्क लगने से वर्तमान महंगाई में वस्तुएं अत्यधिक महंगी होगी जिसका खामियाजा आम उपभोक्ता को सहन करना पड़ेगा। झारखंड में यह शुल्क वर्ष 2015 तक प्रभावी था उस समय के शुल्क के आंकड़ों पर गौर करें तो इस मद में सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व नगण्य था। प्राप्त राजस्व का अधिकांश हिस्सा स्थापन एवं वेतन मध्य में ही समाप्त हो जाता था। इसकी समीक्षा के उपरांत तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा इस शुल्क को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। अतः पश्चिमी सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की मांग है कि इस विधेयक को निरस्त किया जाए ताकि व्यवसायी और कृषक दोनों आराम से अपने कारोबार कर सके। इसमें उपस्थित सदस्य गण थोक एवं खुदरा खाद्य समिति के चेयरमैन गौरव मुंधड़ा, नगर विकास समिति के चेयरमैन श्याम गोयनका, जनसंपर्क समिति के चेयरमैन सर्वेश प्रसाद श्रम एवं माप तौल भाग के चेयरमैन सन्नी विजय वर्गी, खान एवं भूतत्व समिति के चेयरमैन छोटे लाल गुप्ता जी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के चेयरमैन अमर मिश्रा कार्यकारिणी सदस्य संजय प्रसाद और हमारे सक्रिय सदस्य रमेश खीरवाल जी और अन्य पदाधिकारी गण उपस्थित रहे।
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