पश्चिम सिंहभूम: तांतनगर प्रखंड के तुंजबना गांव में आज ईचा खरकई बांध विस्थापित विरोधी संघ की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता सादो पुरती ने किया। बैठक में मुख्य रूप से चुनाव के समय पार्टी और नेताओं के द्वारा किए जाने वाले वादे और काम पर चर्चा हुई। 

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बांध विरोधी संघ के संयोजक दसकन कूदादा ने कहा कि झामुमो की सरकार ने 2014 में तीन सदस्यीय टीएसी का गठन कर बांध से प्रभावित होने वाले ग्रामीणों की सामाजिक समीक्षा करने के लिए उप समिति का गठन किया था। जिस उपसमिति की अध्यक्ष वर्तमान मुख्यमंत्री श्री चंपई सोरेन को बनाया गया था। जबकि वर्तमान आदिवासी कल्याण और परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ और वर्तमान सांसद और भाजपा उम्मीदवार गीता कोड़ा सदस्य बनाए गए थे। टीएसी के उपसमिति ने बांध से विस्थापित होने वाले ग्रामीणों के साथ ग्रामसभा का आयोजन किया गया। और आयोजित ग्रामसभा में एक स्वर से ग्रामीणों ने बांध के विरोध में प्रस्ताव पारित किया। जिस रिपोर्ट को उप समिति के द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा गया था। लेकिन बांध को रद्द नहीं किया जा सका। फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने ईचा खड़कई बांध को अपना एजेंडा में शामिल किया। और घोषणा किया गया कि झामुमो महागठबंधन की सरकार बनी तो बांध को रद्द कर दिया जाएगा। चुनाव पूर्व महागठबंधन की सरकार बनने के अंतिम वर्ष चल रहा है। लेकिन बांध को रद्द नहीं किया गया। जबकि जल,जंगल,जमीन की नारा देने वाली सरकार में बैठी है। बांध विस्थापित संघ के मारकंडे बनरा ने कहा कि जिस तरह से किसी भी पार्टी के नेताओं के द्वारा हम बांध से प्रभावित होने वाले ग्रामीणों के साथ धोखाधड़ी किया है। वादा करने के बाद वादाखिलाफी किया है अब किसी भी दल के नेता को वोट नहीं देकर नोटा में बटन दबाने का मन करता है। जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन था और चाईबासा के परिसदन में बांध विस्थापित संघ के प्रतिनिधिमंडल के द्वारा मुलाकात कर उन्हें अपने विचारों से अवगत कराया गया।और पूछा गया कि बांध सरकार कब रद्द करेगी। तब हेमंत सोरेन ने बांध के विरोध में कुछ अधिक नहीं सुनकर टालने का ही काम किया। उसी तरह से दीपक बिरुआ को मंत्री बनने के बाद ही जब बांध के बारे में पूछा गया तो वह भी मुखर गया। अब किसपर भरोसा किया जाए समझ में नहीं आता? कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने कहा हमारे ओर से लगातार मुख्यमंत्री झारखंड सरकार को तो कभी राज्यपाल,राजभवन को ईचा खड़कई बांध को रद्द करने की मांग पत्र प्रेषित किया जाता रहा है। कयोंकि जिस समय ईचा खड़कई बांध के लिए भूमि अधिग्रहण करना था, उस समय सरकार ने नहीं किया। और 2013 में जब भूमि अधिग्रहण कानून बनाया गया और इसे अधिसूचित किया गया तो अब भूमि अधिग्रहण कानून 2013 प्रभावी है। इसलिए अब भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन ,पारदर्शिता प्रतिकार अधिनियम 2013 के तहत भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इस अधिनियम के तहत रैयतों की भूमि को अधिग्रहण करने से पहले उनके आजीविका को ध्यान रखना आवश्यक है। समाजिक समीक्षा करना आवश्यक है।स्थानीय स्वशासन व्यवस्था से परामर्श करना जरूरी है।ग्रामसभा से लिखित सहमति लेना आवश्यक है। और चूंकि झारखंड पांचवीं अनुसूची राज्य है और कोल्हान प्रमंडल अनुसूचित क्षेत्र है। अनुसूचित क्षेत्र के लिए जनजातीय मंत्रालय, भारत सरकार ने विशेष रूप से भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के साथ भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन और पारदर्शिता प्रतिकार अधिनियम का अक्षरश अनुपालन करने का निर्देश जारी किया है।इन्हीं प्रावधानों का उल्लेख करते हुए झारखंड पुनरूत्थान अभियान की ओर से झारखंड सरकार के साथ लगातार पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन सरकार की ओर से अब तक बांध निर्माण कार्य को सिर्फ तात्कालिक प्रभाव से स्थगित रखा गया है, रद्द नहीं किया गया है। झारखंड पुनरूत्थान अभियान अनैच्छिक रूप से विस्थापित होने वाले ग्रामीणों के साथ है। बैठक को कोल्हान भूमि बचाओ समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सवैया,एडवोकेट सुरेश सोय,एडवोकेट बीरसिंह बिरूली,अमृत मांझी सहित अन्य ग्रामीणों ने संबोधित किया।बैठक में दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे।

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