रांची। राजधानी रांची में शीतलहर का प्रकोप बढ़ते ही अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) में स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक बनी हुई है। महज एक दिन में मेडिसिन विभाग की इमरजेंसी में 85 नए मरीजों को भर्ती करना पड़ा है।
भर्ती मरीजों में उच्च रक्तचाप (बीपी), हार्ट अटैक, लकवा (स्ट्रोक), ब्रेन हेमरेज और निमोनिया से पीड़ित लोग शामिल हैं। बीते दो दिनों में ही निमोनिया के 15 मरीज अस्पताल में भर्ती किए गए हैं, जिनका इलाज जारी है।
रिम्स के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजय सिंह ने बताया कि इस बार शीतलहर का असर स्वास्थ्य पर अधिक देखने को मिल रहा है। ठंड बढ़ने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे बुजुर्ग, बीपी-शुगर के मरीज और पहले से बीमार लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही वायरल संक्रमण के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है।
खाली पेट बाहर निकलना हो सकता है खतरनाक
डॉ. सिंह ने बताया कि ठंड के मौसम में शरीर को तापमान बनाए रखने के लिए अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है। ऐसे में खाली पेट घर से बाहर निकलना जोखिमभरा हो सकता है। ठंड के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे अचानक बीपी बढ़ने का खतरा रहता है। यही स्थिति हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकती है।
उन्होंने लोगों को समय पर भोजन करने, शरीर को गर्म रखने और बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी। रिम्स में भर्ती सभी मरीजों का इलाज विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में किया जा रहा है। मेडिसिन विभाग में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है और गंभीर मरीजों की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
विशेषज्ञों के अनुसार शीतलहर के दौरान यदि अचानक बीपी बढ़ना, सीने में दर्द, तेज सिरदर्द, सांस फूलना, हाथ-पैर सुन्न होना, बोलने में दिक्कत, खांसी, बुखार, बदन दर्द या कमजोरी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
शीतलहर में बरतें ये सावधानियां
घर से निकलने से पहले हल्का भोजन जरूर करें
सुबह-शाम ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनें
बीपी और शुगर के मरीज दवाएं नियमित लें
सुबह की सैर धूप निकलने के बाद ही करें
ठंडे पानी से अचानक स्नान न करें
खांसी, बुखार या सांस की तकलीफ में देरी न करें
बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष ध्यान दें
सतर्क रहना है जरूरी
डॉ. संजय सिंह ने बताया कि शीतलहर अभी कुछ दिनों तक बनी रह सकती है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। समय पर सावधानी और उपचार ही इस मौसम में सबसे बड़ा बचाव है। राजधानी के अस्पतालों में बढ़ते मरीज इस बात का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि ठंड के इस दौर में सतर्कता बेहद आवश्यक है।

