Chaibasa:-  झारखंड मुक्ति मोर्चा की जिला समिति की बैठक लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करने के बाद से झामुमो और कांग्रेस की बयानबाजी शुरू हो गई है. झामुमो जिला समिति के सचिव सोनाराम देवगम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि झामुमो ने गठबंधन धर्म निभाने के चलते ही सिंहभूम में जिस मृतप्राय कांग्रेस पार्टी को 2019 में सिंहभूम संसदीय सीट गिफ्ट कर फिर से राजनीतिक रूप से जिंदा करने का काम किया था. वही कांग्रेस आज झामुमो को गठबंधन धर्म का पालन करने का नसीहत दे रहा है जो हास्यास्पद है.
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उन्होंने कहा कि झामुमो जिला समिति द्वारा बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावना के अनुरूप सर्वसम्मति से लिया गया. फैसला झामुमो का आंतरिक मामला है. इस पर सांसद गीता कोड़ा और कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया उनकी कमजोरी और बौखलाहट को दर्शाता है. जिला में कांग्रेस पार्टी के बयानवीर नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि 2014 में झामुमो और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां मैदान में थीं और झामुमो ने अपने बलबूते सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र के 6 में से 5 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था. जबकि कांग्रेस एक भी विधानसभा नहीं जीत पाई थी. मतलब साफ है, झामुमो के समर्थन के बिना सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का कोई अस्तित्व ही नहीं है. 2019 में गठबंधन धर्म का पालन करते हुए झामुमो ने बड़ी सिद्दत से तैयार किया हुआ. सिंहभूम संसदीय सीट कांग्रेस को गिफ्ट कर दिया था. झामुमो के समर्थन के बदौलत ही कांग्रेस ने सिंहभूम संसदीय सीट तथा जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था. सांसद गीता कोड़ा ने ठीक ही कहा है कि ताली एक हाथ से नहीं बजती है. जिस तरह से 2019 में झामुमो ने गठबंधन धर्म निभाया था, अब इस बार गठबंधन धर्म निभाने की बारी कांग्रेस की है.
http://झामुमो ने पेश की सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की दावेदारी
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