Chaibasa :- कांग्रेस भवन में अंतरराष्ट्रीय शांति नोबेल पुरस्कार एवं भारत रत्न मदर टेरेसा की जयंती मनाई गई. मौके पर मदर टेरेसा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर एवं दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें नमन किया.

इस दौरान कांग्रेसियों ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार एवं भारत रत्न मदर टेरेसा समाज को नई दिशा देने वाली और गरीबों, अनाथों, असहायों के दुख-दर्द के लिए जीने वाली प्रेम, दया, करुणा की प्रतिमूर्ति थीं. उन्होंने बचपन से ही गरीबी का दौर देखा शिक्षा प्राप्त करते हुए 12 वर्ष की आयु में उन्होंने संकल्प लिया कि वह अपना जीवन दूसरों की सेवा में लगाएंगी और 18 वर्ष की आयु में सिस्ट ऑफ लोरेटो में शामिल हुई. एक बार वह भारत घूमने आई और उनके मन में भारत के गरीबों को देखकर सेवा का भाव उभरा इसके बाद वह कोलकाता आ गई और दूसरों की सेवा करते हुए 1948 में भारत की नागरिकता ले ली. 1950 में उन्होंने कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की.

1962 में भारत ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया और 1979 में मानव कल्याण कार्य हेतु उन्हें अंतरराष्ट्रीय नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया. मौके पर कांग्रेस के जंग बहादुर, त्रिशानु राय, दिकु सावैयां, लक्ष्मण हासदा, जितेन्द्र नाथ ओझा, विश्वनाथ तामसोय, चंद्रशेखर दास, मुकेश कुमार, सिकुर गोप, संतोष सिन्हा, हेमंत केशरी, नंद गोपाल दास, सुशील कुमार दास आदि उपस्थित थे.

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