मानदेय वृद्धि में किसी से तुलना करना बीमार राजनीति का परिचय – शंकर

सीआरपी, बीआरपी से उनका मूल काम ले सरकार – सुको 

Jaintgarh (जैंतगढ़) : झारखंड समग्र शिक्षा अभियान और विवाद का चोली दामन का रिश्ता है. हर बैठक, समझौता और फरमान के बाद ऐसे होना स्वाभाविक है. मानव अधिकार कार्यकर्ता गुरुबक्स सिंह अहलूवालिया ने कहा झारखंड शिक्षा परियोजना मात्र आई वाश करने में लगी रहती है. हर संचिका में कुछ ऐसी त्रुटि जान बूझकर छोड़ी जाती है.

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बैठक करते शिक्षकगण

विभाग क्यों अपना रही है दोहरा मापदंड

जिससे मामला आगे जाकर खटाई में पड़ जाए. सीआरपी, बीआरपी सेवा शर्त में उन्हें पारा शिक्षकों का मोनिटर बता कर पारा शिक्षकों को बौना बना दिया गया है. अगर मॉनिटरिंग के आधार पर उनका मानदेय पारा शिक्षकों से अधिक होगा. तो वे तो सरकारी शिक्षको की भी मॉनिटरिंग करते है, फिर उनका मानदेय तो सरकारी शिक्षको से अधिक होना चाहिए. विभाग दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है.

सरकार ने पारा शिक्षकों का किया है अपमान

पूर्व जिला अध्यक्ष सह पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय सदस्य दीपक बेहरा ने कहा ये तो पारा शिक्षकों का अपमान है. भला वर्ग छ से आठ में बहाल प्रशिक्षित और टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षक का मानदेय एक अप्रशिक्षित नन टेट सीआरपी से कैसे कम रहेगा. सरकार और विभाग ने ऐसी नियमावली बनाकर पारा शिक्षकों को अपमानित करके उन्हे भड़काने का काम किया है. ये पारा शिक्षकों के साथ शिक्षक प्रशिक्षण और टेट का भी अपमान है.

ये बीमार राजनीति का है परिचय

शंकर गुप्ता ने कहा तुलना करना बड़ी भूल है. पारा शिक्षक अपने निर्णायक आंदोलन के लिए सर में कफन बांध चुके है. विभाग आग से खेलना चाह रही है. आंदोलन की इस आग से सरकार जल कर राख भी हो सकती है. सरकार को जितना मान दूसरे कर्मियों को दे, पर पारा से तुलना करके पारा शिक्षकों के सामने बड़ी लकीर खींचने का प्रयास न करे. ये बीमार राजनीति का परिचय है. कहां प्रशिक्षित टेट पास पारा और कहां अप्रशिक्षित नन टेट सीआरपी, बीआरपी दोनों में कोई मुकाबला हो ही नही सकता.

सरकार मूल काम छोड़कर करवा रही अनुश्रवण का काम

प्रखंड सचिव सुको कुम्हार ने कहा पहले सीआरपी, बीआरपी नो-वर्क नो-पे पर बहाल किए गए थे. जिनको दैनिक सेवा के आधार पर मानदेय दी जाती थी. उन्हें विषय आधारित शिक्षक के सहयोगी के रूप में बहाल किया गया था. सरकार उनसे उनका मूल काम छोड़ अनुश्रवण का काम करवा रही है. उनसे उनका मूल काम लिया जाए. अभी भी स्कूलों में शिक्षकों का घोर अभाव है.

दोषपूर्ण नियमावली में संशोधन कर, अंश को हटाने की मांग

पारा शिक्षकों, शिक्षा प्रेमियों, मानव अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दोषपूर्ण नियमावली में संशोधन करते हुए, इस अंश को हटाने की मांग की है. जिसमें कहा गया है सीआरपी, बीआरपी का मानदेय हर हाल में हर वर्ग के पारा शिक्षकों से अधिक होगा. पारा शिक्षक तो वेतनमान के हकदार है. उन्हें जल्द उनका वेतन मान की मांग स्वीकृत किया जाय.

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