Jainthgarh (जैंतगढ़) :झारखंड शिक्षा विभाग में कर्मचारियों की कमी को देखते हुए भाजपा के प्रखंड अध्यक्ष राई भूमिज ने कहा झारखंड की शिक्षा विभाग कागज पर चल रही है. झारखंड शिक्षा विभाग की पहचान रिपोर्टिंग से है. शिक्षकों के दिन की शुरुवात रिपोर्टिंग से शुरू होकर शाम को रिपोर्टिंग पर खत्म होती है. प्रधान शिक्षको को तो क्लास लेने की फुरसत ही नही मिलती. पूरे विद्यालय कार्य अवधि में हेड मास्टर की कुर्सी को सुशोभित करते हुए विभिन्न प्रकार के रिपोर्ट बनाते रहते है. वर्क लोड होने पर अक्सर सहायक शिक्षकों को भी रिपोर्ट बनाने के लिए लगा दिया जाता है. जिससे झारखंड सरकार की रिपोर्ट तो दरियाई घोड़ा में सवार होकर दौड़ रहा है, पर शिक्षा के मूल मंत्र से बच्चे दूर हो रहे है. सरकार की अधिकांश योजनाएं धरातल पर सफेद हाथी साबित हो रहे है. ये विडंबना नही तो और क्या है. शिक्षा विभाग प्रधान शिक्षकों को एक लाख रु से अधिक वेतन देकर क्लर्क का काम ले रही है.
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शिक्षकों की उनके मूल काम पठन पाठन से दूर रख कर झारखंड की शिक्षा को रसातल में ले जाया गया है।ये एक सोची समझी साजिश है. ताकि गरीब आदिवासी मूल वासी के बच्चे पढ़ न सके. सरकार शिक्षको को रिपोर्टिंग के काम से मुक्त रखे. इसके लिए हर मध्य विद्यालय में डी एम एफ टी फंड से एक क्लर्क बहाल किया जाए. पंचायत में एक क्लस्टर बनाकर प्राथमिक विद्यालय के लिए एक क्लस्टर क्लर्क की बहाली की जाए जो उस पंचायत के सभी प्राथमिक विद्यालयों की रिपोर्टिंग का काम करे. ताकि स्कूलों में शिक्षक शत प्रतिशत पठान पाठन में ध्यान दे सके. साथ ही बड़े पैमाने पर शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार प्राप्त हो सके.
भाजपा के मुखर नेता सत्यपाल बेहरा ने कहा प्रधान शिक्षक पठन पाठन की जगह रिपोर्ट का काम करके सरकारी राशि का दुरुपयोग करने के साथ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है. सरकार शिक्षको को रिपोर्टिंग कार्य से मुक्त करे. रिपोर्ट के काम के लिए डी एम एफ टी फंड से क्लर्क बहाल करे. शिक्षको का अधिकांश समय मध्याह्न भोजन की व्यवस्था और जुगाड में बीत जाता है शिक्षक नियम के विरूद्ध मध्याहन भोजन का संचालन कर रहे है. स्कूलों में एम डी एम सेल का गठन कर हर हाल में मध्याह्न भोजन का संचालन समिति के माध्यम से कराया जाए. स्कूलों से खराब गुणवत्ता वाले भोजन परोसे जाने की बराबर शिकायते मिल रही है. निगरानी समिति बनाकर पंचायत स्तर में मध्यहान भोजन की निगरानी की जाए. स्वास्थ्य विभाग और खाद्य इनिस्पेक्टर के द्वारा नियमित स्कूलों में तेल मसाले, दाल और सब्जी की गुणवत्ता की जांच की जाए.
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