Chaibasa (चाईबासा) : सारंडा वन क्षेत्र को सेंचुरी घोषित नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए झारखंड सरकार को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है. इस संबंध में पश्चिमी सिंहभूम जिला अन्तर्गत सारंडा वन प्रमण्डल के 575.1941 वर्ग किमी क्षेत्र को वन्य आश्रयणी घोषित किये जाने से संबंधित प्रस्ताव पर हुई मंत्रीपरिषद की बैठक के आलोक में गहन एवं विस्तृत समीक्षा के लिए पाँच (05) सदस्यीय मंत्रियों का समूह सारंडा वन क्षेत्र के छोटानागरा गाँव पहुंचा.
इस समिति के अध्यक्ष मंत्री राधाकृष्ण किशोर, सदस्य मंत्री दीपक बिरूवा, सदस्य मंत्री चमरा लिण्डा, सदस्य संजय प्रसाद यादव, सदस्य मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह को शामिल किया गया है. इस दौरान सांसद जोबा माझी, विधायक सोनाराम सिंकू, निरल पूर्ति, सुखराम उरांव, जगत माझी, जिला परिषद सदस्य लक्ष्मी सोरेन, उपायुक्त चंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक अमित रेणु, सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा, और कई प्रमुख अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

सारंडा के 56 गांवों के ग्रामीण हुए शामिल
छोटानागरा मैदान में आयोजित विशाल आमसभा में सारंडा क्षेत्र के 56 गांवों के हजारों ग्रामीण जुटे और अपनी राय रखी. सभा की शुरुआत सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा ने संबोधन से की. इसके बाद समिति ने ग्रामीणों से सीधा संवाद शुरू किया. ग्रामीणों को स्पष्ट रूप से बताया गया कि आपकी राय ही अंतिम रिपोर्ट का आधार बनेगी. कोई भी निर्णय आपके विचारों और भावनाओं के खिलाफ नहीं लिया जाएगा.
पूजा स्थल और धार्मिक स्थलों की रक्षा की मांगी गारंटी
जिसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित ग्रामीणों क्रमवार अपनी अपनी बातों को रखा. ग्रामीणों का कहना है कि उनके जमीन, वनोपज और परंपरागत अधिकारों से छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए. पारंपरिक पूजा स्थल और धार्मिक स्थलों की रक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए.
बंद खदानों को चालू करने और 100 प्रतिशत रोजगार की उठी मांग
वंही ग्रामीणों ने कई वर्षों से बंद पड़ी खदानों को लेकर नाराजगी जताई. ग्रामीणों ने चालू खदानों से भी रोजगार नहीं मिलने की बात कही. उनकी मांगे हैं कि बंद खदानें पुनः चालू किया जाए और सारंडा के बेरोजगार युवाओं को 100 प्रतिशत रोजगार मिले.
डीएमएफटी का ग्रामीणों को नही मिल रहा लाभ
इस दौरान मुखियाओं व अन्य जनप्रतिनिधियों ने सारंडा के गांवों को विस्थापित करने का सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि गांवों को विस्थापित किया जाता है तो ग्रामीणों को पुनर्वास और लाभ की योजना क्या है. ग्रामीणों ने कहा कि जिला मिनरल्स फंड ट्रस्ट (DMFT) के नाम पर करोड़ों का राशि खर्च किया जा रहा है, लेकिन इसका लाभ ग्रामीणों को नही मिल रहा है.
ग्रामसभा की अनुमति के बिना सेंचुरी का कोई औचित्य नहीं
जनप्रतिनिधियों ने कहा कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना सेंचुरी का कोई औचित्य नहीं है. कुछ ने सेंचुरी को विकास का अवसर बताया, तो कुछ ने इसे आदिवासी अधिकारों पर खतरा माना. सेंचुरी के पक्ष में तर्क दिए गए कि इससे वन्यजीव संरक्षण, ईको-टूरिज्म और पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा मिलेगा. वहीं विरोध में कहा गया कि खेती, चराई, वनोपज और रोजगार पर असर पड़ेगा और विस्थापन की स्थिति बनेगी.
जनता की भावनाओं के विपरीत नही लेगी निर्णय
समिति अध्यक्ष मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करती है और जनता की भावनाओं के विपरीत कोई निर्णय नहीं लेगी. उन्होंने कहा कि जनता की राय ही सर्वोपरि है, किसी भी निर्णय में ग्रामीणों की भावनाओं की अनदेखी नहीं की जाएगी, साथ ही स्पष्ट किया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने सारंडा को सेंचुरी बनाने की दिशा में कुछ निर्देश दिए हैं, जिनका पालन करते हुए सरकार जनता की आवाज को सर्वोच्च महत्व देगी.
ग्रामीणों से जाना उनके मंतव्य
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश के आलोक में सारंडा वन क्षेत्र को पर्यावरण संरक्षित करने, इन क्षेत्रों में निवास करने वाले जनजातीय समुदायों के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन तथा रूढ़िवादी परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए संरक्षण एवं विकास में संतुलन बनाने के लिए उक्त समिति संबंधित क्षेत्र के विभिन्न स्थलों का भ्रमण कर ग्रामीणों से उनके मंतव्य जाना.
ये रहे उपस्थित
उक्त अवसर पर जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी, वन, समाज कल्याण, खनन, ग्रामीण विकास, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग और स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारियों की उपस्थित रहे.


