Chaibasa:- झारखंड सरकार के मंत्री चंपई सोरेन को इंजीनियरों ने मूर्ख बनाया या वे जनता को मूर्ख बना रहे हैं, की स्वरूप बदलने से ईचा डैम से कोई गाँव नहीं डूबेगा. अभी तक के स्वरूप में झारखंड से 87 गाँव और उड़ीसा से 36 गाँव प्रभावित हैं और डैम की ऊँचाई 225 मी से 213 मी किए जाने का प्रस्ताव है. 213 मी में भी 10-12 गाँव को पूर्णत: डूबने एवं 20-22 गाँव को आंशिक रूप से डूबने से नहीं बचाया जा सकेगा. अभी छोटा डैम बनाकर आने वाले समय में उसी की ऊँचाई बढ़ाकर पुन: सभी प्रभावित गाँवों को डूबने से कोई इनकार नहीं कर सकता है. 80 के दशक में भी उस समय सरकार ने यंहा के लोगों को अपनी खेती के लिए डैम बनाने की बात कही गई थी, लेकिन हुआ क्या इतना बड़ा योजना बना की यंहा के लोगों के गाँव के गाँव डूब रहे थे, तो फ़ायदा किसे मिलता. उक्त बातें आदिवासी हो समाज महासभा पूर्व महासचिव मुकेश बिरुवा ने कही.

उन्होंने कहा कि ईचा डैम को बनाने के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट यानी इया रिपोर्ट को बदले बिना नया कोई स्वरूप ईचा डैम का नहीं बदल सकता है. सबसे पहले मंत्री जी को इया रिपोर्ट जो की 1960 के दशक का है, को बदलने का काम करना चाहिए. उस इया रिपोर्ट को ग्राम सभा के सामने लाते हुए सामाजिक आकलन का रिपोर्ट तैयार करते हुए आगे बात करनी चाहिए. नहीं तो उसी प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर छोटा डैम बनाने की बात कह कर लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश मात्र है.  लेकिन क्षेत्र की जनता बहुत जागरूक है, वो डैम को रद्द करने से कम में बात नहीं मान सकती और कोल्हान में हो समाज के लोगों ने इसी डैम को रद्द करने के मुद्दे पर झामुमो को जिताया था. डैम चाहे छोटा हो या बड़ा पहले उस डैम को तुरंत हिम्मत दिखाते हुए रद्द किया जाना चाहिए. जिसे आदिवासी सलाहकार परिषद ने रद्द करने की अनुशंसा की थी. क्या कोई इंजीनियर या पदाधिकारी आदिवासी सलाहकार परिषद से ऊपर हैं जो उनकी बात सुनी जा रही है, ज़ोरदार प्रहार होगा, चाहे सामने सरकार हो या मंत्री.

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