Chaibasa :- झामुमो पश्चिमी सिंहभूम ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति की सूची बनाने में राज्य सरकार की भूमिका नहीं है, राज्यपाल की है और राष्ट्रपति की. 25 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन समेत अधिकांश झामुमो विधायकों ने कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने सम्बन्धी पत्र में हस्ताक्षर किए थे. अब इन दोनों में एक तो गलत है. उक्त बातें आदिवासी हो समाज महासभा के पूर्व महासचिव मुकेश बिरूवा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही है.

उन्होंने कहा है कि यदि झामुमो पश्चिमी का दावा सही है, तो क्या हेमन्त सोरेन समेत झामुमो के विधायक गलत किए और किसी भी काग़ज़ में हस्ताक्षर किए. जब सरकार की कोई भूमिका नहीं है तब इन्होंने क्या सोच कर हस्ताक्षर किया था और यदि हेमन्त सोरेन लोग जनप्रतिनिधि के तौर पर कुड़मियों को आदिवासी बनाने के पक्षधर हैं और निर्णय ले सकते हैं, तो झामुमो पश्चिमी सिंहभूम गलत है. पहले झामुमो तय करे कौन सही है. वैसे जानकारी के लिए बता दूँ, सरना कोड से सम्बंधित निर्णय भी हेमन्त सोरेन सरकार ने ही लिया था. जबकि धर्म कोड का मामला सेंसस ऐक्ट 1948 के तहत होता है, जिसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है.

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