Jamshedpur: जमशेदपुर के जेके रेसीडेंसी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.हालांकि किसी पार्टी से उनकी बातचीत नहीं हुई है और फिलहाल वे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी समर में कूदने की तैयारी कर रही हैं.

 

 

विधानसभा चुनाव आने में अभी कई महीने बाकी हैं और उससे पहले लोकसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में अन्नी अमृता के इस ऐलान से जमशेदपुर की राजनीति न सिर्फ दिलचस्प बन गई है बल्कि एक अर्से से कुछ नामों के इर्द गिर्द घूमते राजनीतिक परिदृश्य में कुछ नया अध्याय जुड़ रहा है.बकौल अन्नी अमृता-“मुझे अंजाम की परवाह नहीं है बस अपना प्रयास करना है.बाकी ईश्वर की मर्जी. राजनीति गंदी है, नेता गंदे हैं ये सब कहना बंद करके बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को राजनीति में आना होगा.सिर्फ आलोचना से बात नहीं बनेगी.बड़ी लकीर खींचनी होगी.बेहतर विकल्प होंगे तो जनता भी अपने वोट के चोट से बदलाव कर सकेगी.’’ 

 

राजनीति जन सेवा का माध्यम है न कि लूट खसोट का

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अन्नी अमृता ने कहा कि पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने जनसेवा की है और आगे राजनीति के प्लेटफार्म से भी यही इरादा रखती हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति समाज और देश को आगे बढाने का नाम है न कि लूट खसोट का.अन्नी ने सवाल उठाया कि राजनीति गंदी है या इसे गंदा करनेवाले?ये सोचनेवाली बात है.बंदूक एक अपराधी भी चलाता है और पुलिस भी मगर क्या फर्क है?फर्क है इरादे का.इसलिए गलत बंदूक नहीं बल्कि गलत है उसका गलत इस्तेमाल….अन्नी ने कहा कि आज हर व्यक्ति परफार्मेंस दे रहा है, घर पर, अपने कार्यालय में…एक पति/पिता/भाई के रुप में दिनोंदिन बेहतर बनने का प्रयास, एक मां/पत्नी/बहन/प्रोफेशनल के रुप में बेहतर बनने का प्रयास और फिर भी वह खुद को कटघरे में पाता है जहां सौ प्रतिशत लोग खुश नहीं होते..फिर कैसे राजनीति में कोई परफार्मेंस नहीं जांचा जाता और जाति/धर्म का बोलबाला हो जाता है..कैसे नेता काम में सुधार की जगह अपने स्वार्थ के लिए जनता को बुद्धू बनाने लगते हैं? ऐसा क्यों होता है.#Jamshedpur की जनता क्या सोचती है? क्या जनता में वो ताकत नहीं कि वह अपने वोट के चोट से राजनीति को स्वच्छ बनाने का प्रयास करे..राजनीति गंदी है ऐसा कहने की जगह अच्छे लोगों का स्वागत करे?बदलाव की शुरुआत खुद से होती है…फिर बहुत कुछ बदलता है.

 

जमशेदपुर पश्चिम में बहुत कुछ नहीं है जो होना चाहिए था

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अन्नी ने चुनाव के मुद्दों के संबंध में कहा कि स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा मुद्दा है जो जमशेदपुर पश्चिम की जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करता है.इस इलाके में कोई बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है.टी एम एच जाकर इलाज कराना सबके सामर्थ्य से बाहर है.एकमात्र सहारा जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र में स्थित एमजीएम है जिसकी हालत किसी से छुपी नहीं है.लोग एक एंबुलेंस के लिए तरसते हैं. आए दिन मीडिया के माध्यम से ठेले पर लादकर मरीजों को लाते हम देखते हैं.स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज भी जनता प्राइवेट नर्सिंग होमों के भरोसे है जहां जिंदगी भर की कमाई लगाकर भी बेहतर इलाज कराने में वे असमर्थ है.आयुष्मान कार्डधारी भी भटकते रहते हैं, कई तरह की शिकायतें आती हैं जिनको लेकर ट्वीटर(एक्स) पर मामलों की भरमार रहती है.

 

आम जनता के लिए बेहतर शिक्षण संस्थानों का अभाव है.खासकर महिलाओं के लिए यहां जितने कॉलेज होने चाहिए वे नहीं हैं.उदाहरण के लिए सोनारी की एक बस्ती की गरीब छात्रा कहां पढ़ेगी अगर वो सीयूइटी न कंपलीट कर पाए?अब तो जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज यूनिवर्सिटी बन चुका है और सीयूअटी से जुड़ चुका है. जो सामर्थ्यवान हैं वे 12 वीं के बाद अपने बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेजते हैं. छात्रों का पलायन जारी है.यहां रोजगार एक बहुत बड़ा मुद्दा है.

 

जाम इस क्षेत्र की एक बडी समस्या है.स्वर्णरेखा नदी पर डोबो पुल बनने के बाद भी मानगो पुल पर महाजाम लगने के पीछे इस्टर्न वेस्टर्न कॉरीडोर का अधूरा रहना है.हैरानी है कि यहां राजनीति और कॉरपोरेट हाउस का कैसा गठजोड रहा कि जाम और दुर्घटनाओं का दंश झेल रहे इस इलाके में एक फ्लाईओवर नहीं बन सका?आज भी भारी वाहनों का शहर में प्रवेश एक बड़ा सवाल बना हुआ है.

 

आज भी मानगो, आजादनगर समेत पूरे क्षेत्र में लोगों को जुस्को(टाटा स्टील यू आईसी एल) की बिजली उपलब्ध नहीं है.एक तरफ जमशेदपुर के टिस्को क्षेत्र में लोग 24घंटे की बिजली की सुविधा पाते हैं वहीं मानगो और सोनारी समेत अन्य इलाकों के गैर टिस्को क्षेत्र में बिजली की आंख मिचौली लोग झेलते हैं.एक तरह से मानगो और जमशेदपुर पश्चिम के गैर टिस्को इलाके(बस्तियां) हाशिए पर हैं.बरसात के दिनों में कई इलाके बाढ और जलजमाव का शिकार बनते हैं.

 

जमशेदपुर पश्चिम के मरीन ड्राइव के इलाके को कचरा घर बना दिया गया है जो इस इलाके को बीमारियों में ढकेल रहा है.जगह जगह कचरे के पहाड ये दर्शाते हैं कि कचरा प्रबंधन की योजना धरातल पर नहीं उतारने का खामियाजा यहां के लोग भुगत रहे हैं.

 

यहां के बिष्टुपुर, सोनारी , मानगो और अन्य क्षेत्र के मार्केट की स्थिति भी किसी से छुपी नहीं है.मार्केट एरिया का विकास कभी मुद्दा ही नहीं बना.

 

आज भुवनेश्वर, लखनऊ, इंदौर जैसे अन्य छोटे शहर विकास, स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं और जमशेदपुर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हजार करोड से वंचित हो जाता है. अगर वो प्राप्त होता तो जमशेदपुर पश्चिम में भी विकास की बयार बहती.फिर टिस्को और गैर टिस्को दोनों इलाके विकसित होते.अब तो स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ रहा है.जाहिर है जिस तरह से आबादी बढ़ रही है विकास का रोडमैप नहीं बनाया जा रहा है.

 

अन्नी ने कहा कि मुद्दों की लंबी फेहरिस्त है जिसे कम समय में बयां करना मुश्किल है.उपरोक्त मुद्दों के साथ साथ अन्य मुद्दों को लेकर इस चुनाव में आवाज बुलंद होगी.

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