Chaibasa : ईचा खरकई बांध विरोधी संघ, कोल्हान ने कला संस्कृति भवन,हरिगुटु में सिद्दू कान्हू को नमन करते हुए हुल दिवस के मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.

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ईचा खरकई बांध विरोधी संघ

प्रेस को संबोधित करते हुए संघ के अध्यक्ष बिर सिंह बुड़ीउली ने साझा किया कि झारखंड उच्च न्यायालय में इंटक कांग्रेस प्रदेश सचिव संतोष कुमार सोनी द्वारा जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए विगत दिनांक 24 जून 2024 को स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के मामले में आदेश दिया कि मुख्य सचिव को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित में उल्लेखित मुद्दों (ईचा डैम के निर्माण में विसंगतियां) को हल किए बिना, बांध के आंशिक निर्माण में खर्च की गई इतनी बड़ी (6000/- हजार करोड़) राशि खर्च करने के लिए किसे जिम्मेदार बनाया जाएगा ? यानी, भूमि अधिग्रहण,पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 उचित मिआवजा और पारदर्शिता का अधिकार की धारा 41 के आदेश को पूरा करना. आगामी सुनवाई दिनांक 2 जुलाई 2024 को उपरोक्त प्रश्न के संबंध में विशिष्ट हलफनामा की मांग की है.

द दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड जिस फार्म को 2019 में टेंडर आवंटित किया गया था. उसे इस न्यायालय द्वारा डबल्यू. पी में पारित निर्णय दिनांक 24 अप्रैल 2014 के बारे में भी इस न्यायालय के ध्यान में नही लाया. (सी) 2014 की संख्या 2845 और 2014 की एलपीए संख्या 309 में पारित आदेश 13 मार्च 2015 या इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश को रद्द करते हुए 2016 की सिविल अपील संख्या 6125 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश यदि संतोष कुमार सोनी याचिकाकर्ता द्वारा उपरोक्त न्यायिक आदेशों के बारे में इस न्यायालय में लाया होता तो उनका बहुमूल्य समय अदालत को इस तरह बर्बाद नही करना पड़ता. इस कृत्य को यह अदालत इन पक्षों द्वारा तथ्य का दमन मानती है.


झारखंड जनजातीय सलाहकार परिषद ने ईचा डैम को रद्द करने की अनुशंसा की है. स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना को रद्द करने के लिए 16 अक्टूबर 2014 को झारखंड जनजातीय सलाहकार परिषद द्वारा अनुशंसा की कर चुकी है. वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन तत्कालीन टीएसी उपसमिति के अध्यक्ष थे.

ईचा डैम के संदर्भ में सामाजिक अंक्षेपन के उपरांत लिए गए निर्णय

  1. . जनजातीय क्षेत्रों में प्रचालित नियमों/अधिनियमों की अनदेखी कर बन रही ईचा खरकई बांध को अविलंब रद्द किया जाए।
  2. . परियोजना हेतु अनाधिकृत रूप से कृषि भूमि,धार्मिक स्थल,कब्रिस्तान, नदी इत्यादि से अपना आधिपत्य हटाया जाय साथ ही रैयतों को उनकी भूमि वापसी सुनिश्चित किया जाय।
  3. . उक्त परियोजना हेतु स्वीकृत राशि का खर्च प्रभावित 124 ग्रामों को उनके उत्थान के लिए खर्च किया जाय।
  4. . 124 ग्रामों के जनजातियों के हितों की रक्षा के लिए शहादत देने वाले शाहिद गंगाराम कालुंडिया के परिवार के आश्रितों को सम्मान एंव नौकरी दी जाय। संवैधानिक उपबन्धो, नियमों और अधिनियमों का हो रहा उल्लघंन
  5. . स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना (कुजू डैम) संवैधनिक उपबंधो, नियमों, अधिनियमों का उल्लंघन कर निर्माण किया जा रहा है। संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों को छीनता या न्यून करता है। स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना से झारखंड के 87 खूंटकट्टी ग्राम/मौजा पूर्ण और आंशिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। जिसमे झारखंड राज्य पश्चिमी सिंहभूम,सरायकेला खरसावां जिला के सदर प्रखंड, तांतनगर प्रखंड और राजनगर प्रखंड के 26 गांव पूर्ण रूप से जलमग्न होंगे। शेष 100 गांव आंशिक रूप से डूब जाएंगे। ईचा खरकई बांध परियोजना से प्रभावित ग्राम खूंटकट्टी ग्राम है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से अध्यक्ष बिर सिंह बुड़ीउली, उपाध्यक्ष रेयांस सामड, सचिव सुरेश सोय, सहसंयोजक योगेश कालुंडिया, कोषाध्यक्ष गुलिया कालुंडिया, सह कोषाध्यक्ष बिरसा गोडसोरा, मीडिया सचिव रविंद्र अल्डा, सलाहकार हरीश चंद्र अल्डा, मुकेश कालुंडिया, लालू कालुंडिया, सुनील बाड़ा,हरिपती तियु, डेबो पड़ेया और आंदोलनकारी शामिल थे.

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