Saraikela:कांड्रा थाना क्षेत्र स्थित अमलगम स्टील एंड पावर लिमिटेड कंपनी जन जीवन से खिलवाड़ कर रही है। कंपनी के चिमनियों से निकलने वाला प्रदूषित धुंआ आसपास के वातावरण में जहर घोल रहा है। बढ़ते प्रदूषण के चलते जनजीवन प्रभावित है और जिंदगी खतरे में है। ये हम नहीं बल्कि अमलगम स्टील एंड पावर कंपनी से सटे गांव के लोग कह रहे हैं।
कंपनी के चिमनियों से निकलने वाला धुआं न सिर्फ वातावरण प्रदूषित कर रहा है। बल्कि खेत- खलिहान लोगों के घर, पीने के पानी पर भी प्रदूषण की मार ,झेल रहा है। कंपनी से सटे गांव सर्वाधिक प्रभावित हैं। यहां के लोग बताते हैं कि कंपनी के प्रदूषण के चलते खेत- खलिहान ,सब्जी की बागवानी कई दिनों से प्रभावित हो रही है. प्रदूषण के चलते ग्रामीण बीमार भी हो रहे हैं। बावजूद इसके कंपनी प्रबंधन प्रदूषण के उपायों को कम ना कर सीएसआर के नाम पर स्कूल संचालन , स्वास्थ्य केंद्र संचालन रखरखाव कर बचते आयी है। गांव के ग्रामीणों ने बताया कि लगातार हो रहे पर्यावरण और वायु प्रदूषण के चलते गांव के लोग जल्द बीमार पड़ते हैं। खेतों में उपजने वाले फसल और सब्जियां प्रदूषण के चलते खेतों में खराब हो जा रहे हैं।
प्रदूषण के चलते पर्यावरण के साथ पशु पक्षी भी प्रभावित
कंपनी प्रोडक्शन के चलते प्रदूषण की मार इतनी है कि आस-पास के गांव में जनजीवन तो प्रभावित है ही साथ में पर्यावरण के साथ पशु -पक्षी भी प्रदूषण की चपेट में हैं .ग्रामीणों ने बताया कि पहले जंगल खेत-खलियान मे पक्षियों की चहचहाहट सुनाई पड़ती थी जो अब खत्म है। ग्रामीणों ने बताया कि कंपनी प्रदूषण का असर इतना है कि कंपनी से निकलने वाला डस्ट सोलर बोरिंग जल मीनार के सोलर प्लेट पर जाकर जम जाता है, जिसके चलते सोलर प्लेट चार्ज तक नहीं हो पाता .हफ्ते में तकरीबन तीन से चार बार सोलर प्लेट की सफाई करनी पड़ती है. बावजूद इसके हर 2 घंटे बाद प्रदूषित धूल सतह सोलर प्लेट पर जम जाती है। मनुष्य के साथ पशु जीवन पर प्रदूषण की मार का नतीजा रहा कि विगत दिनों ग्रामीणों द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में कंपनी प्रदूषण के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई गई हैं।
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद क्षेत्रीय अधिकारी ने जांच की कही बात
अमलगम कंपनी प्रदूषण मामले को लेकर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी राम प्रवेश कुमार से जब बात की गई तो, इन्होंने बताया कि कंपनी में प्रदूषण स्तर कम करने फिल्टर और ईएसपी( इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम) मशीन लगी हैं. अगर कंपनी प्रबंधन इन्हें सही तरीके से प्रयोग में नहीं ला रही है तो इस पर जांच कर करवाई की जाएगी।
कंपनी प्रबंधन मामले पर मौन
प्रदूषण की मार झेल रहे ग्रामीणों की शिकायत पर जब कंपनी प्रबंधन से बात करने की कोशिश की गई तो प्रबंधन के अधिकारियों ने बात करना तक मुनासिक नहीं समझा है। प्रबंधन पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुई है। जिससे जाहिर होता है कि भारी भरकम प्रोडक्शन कर प्रबंधन जिंदगी से खिलवाड़ करने का मन बन चुकी है।
दर्जनों गांव में प्रदूषण की चपेट में
कंपनी प्रदूषण के चलते आसपास के कई अन्य गांव और पंचायत भी प्रदूषण की चपेट में है। जिसका खुलासा आगे कड़ियों में किया जाएगा। फिलहाल जो स्थिति हमने दिखाने की कोशिश की है साफ जाहिर है कि प्रदूषण से जिंदगी खतरे में है…………….