Chaibasa:- उरांव समुदाय का महान पर्व करमा जागरण के साथ प्रारंभ हो गई. चाईबासा के सातों अखाड़ा सहित आसपास के गावों में नया खान किया गया. समुदाय के सभी लोग अपने – अपने घरों में नये अन्न को अपने पूर्वजों व अपने इष्ट देवता धर्मेश को चढ़ावा कर पूजा अर्चना किया गया. उसके पश्चात प्रसाद के रूप में नये अन्न का ग्रहण किया गया. करमा त्योहार धूम-धाम एवं हर्षोल्लास एवं पुरी श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा. सभी अखाड़ा में नवयुवक-युक्तियाँ उपवास में करम राजा को लाने के लिए करम टोंका जायेंगे उपवास नवयुवक के द्वारा करम डाल काटकर युक्तियाँ को सौपेंगे.

उसके बाद सारे उपवास बच्चे-बच्चियां करम डाल को श्रद्धा के साथ पूजा करेंगे. उसके बाद नाचते-गाते हुए करम राजा का अखाड़ा तक ले आयेंगे. करम डाल अखाड़ा में गढ़ने के बाद पाहन पुजारी व उनकी धर्म पत्नी धूमन-धुप करने के बाद लाल मुर्गा की पूजा की जाती है. उसके कुछ देर बाद करमा एवं धरमा दो महानवीरों की कथा सुनायी जाती है. उसके बाद रातभर बहुत ही हर्षोल्लास के साथ नाच-गान किया जाता है और दूसरे दिन शाम को करमा डाल की विसर्जन की जायेगी. यह राजी करम त्योहार (भादो एकादशी व्रत) हमारे पूर्वजों की देन है. जिसे हम उरांव आदिवासी युगो-युगो से मनाते आ रहे है. यह महान सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक व्रत करमा और धरमा दो महान वीरों के कर्म-धर्म एवं सत्य की शक्ति से सृजन हुआ है. आज भी भारतवर्ष के विभिन्न जातियों द्वारा विभिन्न प्रांतो में विशेषत: छोटानागपुर के कोने-कोने में अलग-अलग रस्मों से इस महान करमा पूजन (व्रत) को बड़ी श्रद्धापूर्वक धूम-धाम से मनाया जाता है. इस वर्ष भी भादो एकादशी के शुकल पक्ष में करमा त्योहार बड़ी सादगी के साथ मनाया जाएगा. इस शुभ अवसर पर उरांव समाज संघ, पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा सभी माता-पिता भाई-बहन तथा बच्चों को हार्दिक धन्यवाद देती है और नेक कर्म के लिए ईश्वर से प्राथना करती है. उरांव समाज संघ की निर्देशों का पालन करते हुए त्योहार (करमा पूजन) को विधिपूर्वक सादगी से मनाने का आह्वान किया गया.

इस अवसर पर समाज के मुखिया लालू कुजूर,राजु तिग्गा,चमरू लकड़ा, शम्भु टोप्पो, खुदिया कुजूर, सीताराम मुण्डा,जगरनाथ लकड़ा, राजेन्द्र कच्छप, दुर्गा कुजूर, कृष्णा तिग्गा, जगरनाथ टोप्पो, कृष्णा मुण्डा, फागु खलखो, दीपक टोप्पो, निशांत मिंज, राजु कुजूर, लखन टोप्पो, कृष्णा तिर्की, मंगल लकड़ा, लक्ष्मी कच्छप, सावित्री कच्छप, लक्ष्मी खलखो, पुतुल खलखो, प्रीति तिर्की, किरण कोया, पार्वती कुजूर एवं भारती कुजूर आदि काफी संख्या में महिला-पुरूष उपस्थित थे.

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