सरायकेला: जिले के खरसावां बुरुडीह स्थित अभिजीत स्टील प्लांट तकरीबन एक दशक से बंद पड़ा है. कंपनी की स्थापना के समय 1500 करोड़ का निवेश किया गया था, तब 3,000 टन स्टील का प्रोडक्शन भी हुआ था, लेकिन कोल ब्लॉक घोटाला में कोल लिंकेज नहीं मिलना के चलते आखिरकार कंपनी बंद हो गई, जिससे सरकार को काफी नुकसान हुआ. लेकिन स्थानीय बाबूओ को पहले और अब भी कंपनी के बंद होने के चलते बड़ा फायदा होता रहा है।
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दरअसल खरसावां के बंद अभिजीत स्टील प्लांट से स्टील स्क्रैप कटिंग कर चोरी किए जाने का मामला कोई नया नहीं है, भले ही कंपनी बंद हो गई लेकिन स्टील स्क्रैप कटिंग कर चोरी किए जाने का गोरखधंधा एक उद्योग का रूप ले चुका है, विश्वसनीय सूत्र से बताते है कि प्रतिदिन देर रात पिकअप वैन में काटे गए स्क्रैप को लादकर वेट ब्रिज पर ले जाकर बाकायदा वजन कराया जाता है। जिसके बाद ₹3 प्रति किलो की दर से बाबू को भुगतान किया जाता है, रास्ते में पड़ने वाले अन्य बाबुओं को भी मोटी रकम दी जाती हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला में कोल लिंकेज नहीं मिलने पर कंपनी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) एवं कंपनी स्थापना में पैसे लगाने वाले बैंकों के कब्जे में है, बावजूद इसके तैनात सुरक्षा गार्ड स्क्रैप माफियाओं के मिली भगत से स्क्रैप कटिंग का गोरखधंधा बे- रोक टोक कर रहे है। जानकार बताते हैं कि कंपनी में आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का निवेश हुआ है।
रैयतदार- ग्रामीणों ने भी कई बार पकड़ा है स्क्रैप टापते गाड़ियों को
अभिजीत प्लांट से स्क्रैप कटिंग कर माल टापते पूर्व में कई बार स्थानीय रैयतदारों और ग्रामीणों ने मालवाहक गाड़ियों को पकड़ा है,ग्रामीण बताते हैं कि उनके लाख प्रयास के बावजूद स्क्रैप कटिंग गोरखधंधा बंद होने का नाम नहीं लेता, वहीं स्थानीय गांवो के कुल 400 से भी अधिक रैयतदारों ने अपनी जमीन कंपनी को दी थी, कंपनी बंद होने के बाद उनकी जमीन भी चली गई और उन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा था। लेकिन सेटिंग कर स्क्रैप गोरखधंधे में शामिल सफेदपोश लगातार प्रशासनिक बाबूओ के साथ मिलकर धंधे में वारे न्यारे करते आये हैं.
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