Chaibasa (चाईबासा) : पश्चिमी सिंहभूम जिले के शिक्षा विभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जिले के तीन शिक्षकों पर स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों से वेतन दिलाने के नाम पर 35 से 40 लाख रुपये तक की अवैध वसूली करने का आरोप लगा है। इस पूरे प्रकरण का खुलासा जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) टोनी प्रेमराज टोप्पो ने किया है।
वेतन भुगतान के नाम पर चल रहा था खेल
जानकारी के अनुसार, कई स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों को लंबे समय से उनका बकाया वेतन नहीं मिल पा रहा था। इसी दौरान जिले के तीन शिक्षकों ने खुद को “सहायता करने वाला” बताकर उनसे संपर्क किया और वेतन दिलवाने के नाम पर ऑनलाइन लेनदेन के जरिए भारी रकम वसूल ली। बताया जा रहा है कि कई शिक्षकों से 10 हजार से लेकर 1.5 लाख रुपये तक की रकम ली गई थी।
जांच में सामने आए तीनों नाम
विभागीय जांच के बाद जिन शिक्षकों पर आरोप तय हुए हैं, वे हैं –
- राकेश कुमार महतो, शिक्षक – मारवाड़ी प्लस टू उच्च विद्यालय, चक्रधरपुर
- अलोका पुरती, शिक्षक – एसओई स्काट प्लस टू उच्च विद्यालय, चाईबासा (वर्तमान में राजआनंदपुर विद्यालय में प्रतिनियुक्त)
- निलिमा मुक्ता पुरती, शिक्षक – प्रोजेक्ट प्लस टू उच्च विद्यालय, झीलरुवां गोइलकेरा (वर्तमान में खूंटी विद्यालय में प्रतिनियुक्त)
इन तीनों पर आरोप है कि उन्होंने न केवल पैसे वसूले, बल्कि रकम लौटाने से भी इंकार कर दिया।
शिकायत के बाद खुला मामला
स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों के एक समूह ने सामूहिक रूप से लिखित शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपी थी। शिकायत में कहा गया था कि संबंधित शिक्षकों ने “वेतन जारी कराने” के नाम पर ऑनलाइन माध्यम से रकम ली थी, जबकि वेतन भुगतान पूरी तरह प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके लिए किसी व्यक्तिगत व्यक्ति से लेनदेन की आवश्यकता नहीं होती।

D.E.O ने लिया सख्त संज्ञान
शिकायत प्राप्त होने के बाद DEO टोनी प्रेमराज टोप्पो ने तुरंत विभागीय जांच शुरू कराई। जांच में मामला सही पाया गया, जिसके बाद तीनों शिक्षकों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया। साथ ही उन्हें 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने और पिछले तीन महीने के बैंक खातों का स्टेटमेंट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
DEO ने साफ कहा है कि यदि स्पष्टीकरण असंतोषजनक या भ्रामक पाया गया, तो विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें निलंबन, अनुशासनात्मक दंड और आवश्यक होने पर FIR दर्ज करने तक की प्रक्रिया शामिल होगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि विभाग ने पहले ही 12 सितंबर को स्पष्ट आदेश जारी किया था कि कोई भी व्यक्ति बकाया भुगतान के लिए पैसे की मांग न करे।
शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप
घोटाले के उजागर होने के बाद जिले के शिक्षकों में भय और आक्रोश का माहौल है। कई शिक्षक अब वित्तीय लेनदेन को लेकर सतर्क हो गए हैं। शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रकार के संदिग्ध व्यवहार या धन की मांग की जानकारी सीधे जिला शिक्षा पदाधिकारी को दें।
साफ प्रशासन की कसौटी पर शिक्षा विभाग
यह मामला न केवल तीन शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि शिक्षा विभाग की पारदर्शिता और निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। फिलहाल जिला प्रशासन मामले पर करीबी नजर बनाए हुए है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आरोपी शिक्षक अपनी सफाई में क्या जवाब देते हैं और विभाग इस मामले में क्या निर्णय लेता है।
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