Chaibasa : कोल्हान में हो भाषा व साहित्य को नयी गरिमा देनेवाले हो भाषा के साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली (50) को साहित्य भूषण सम्मान से नवाजा गया है। यह सम्मान उनको 14 अप्रैल को जमशेदपुर स्थित तुलसी भवन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आयोजित सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह-2024 में ‘हो’ साहित्य में विशेष योगदान के लिये दिया गया। इसके लिये उनको शॉल ओढ़ाकर मोमेंटो व प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया। तत्पश्चात उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े साहित्यिक संगठन अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा सम्मानित होना गर्व की बात है। हो भाषा व साहित्य के विकास व संवर्द्धन की दिशा में मेरा प्रयास जारी रहेगा।

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850 कविताएं लिख चुके हैं डोबरो बुड़ीउली –

सदर प्रखंड के बरकुंडिया निवासी डोबरो बुड़ीउली कोल्हान के सुप्रसिद्ध हो भाषा साहित्यकार हैं। साथ ही इसकी लिपि वारंग क्षिति के विद्वान व शिक्षक भी हैं। करीब 30 वर्षों से वे हो साहित्य के विकास में जुटे हैं। इस दौरान वे करीब 850 हो कविताएं गढ़ चुके हैं जिनको वे जल्द ही कविता संग्रह का रूप देंगे। उनका साहित्यिक सफर 1992 में शुरू हुआ था। टोंटो प्रखंड के बड़ा झींकपानी में संचालित हो भाषा शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र में दस वर्षों तक शिक्षण कार्य किया। इसी तरह चाईबासा में संचालित हो कला संगम में 13 वर्षों से हो भाषा व इसकी लिपि पढ़ा रहे हैं। वहीं ऑल इंडिया रेडियो आकाशवाणी चाईबासा में किसान वाणी नामक कार्यक्रम के वे हो भाषा अनुवादक तथा उदघोषक भी हैं।

अध्यात्म से लेकर हो लोक दर्शन तक पर गढ़ीं कविताएं –

साधारण गरीब किसान परिवार में जन्मे हो भाषा के समर्पित साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली ने लगभग हर विषय व मुद्दे पर हो कविताएं लिखी हैं। अध्यात्म से लेकर आदिवासी हो लोक दर्शन (फिलोसॉफी) तक पर कविताएं गढ़ीं हैं। इनके अलावे उन्होंने सामाजिक, प्राकृतिक, आर्थिक, राजनीतिक व धार्मिक व भाषा-संस्कृति से संबंधित विषयों पर भी आलोचनात्मक कविताएं तक लिखी हैं।

30 वर्षों में चार दर्जन से अधिक साहित्यिक सम्मान व पुरस्कार जीते – डोबरो बुड़ीउली अबतक के साहित्यिक कैरियर में चार दर्जन से अधिक साहित्यिक पुरस्कार व सम्मान हासिल कर चुके हैं। इनमें सरकारी व गैर सरकारी दोनों सम्मान शामिल हैं। टाटा कॉलेज से मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री लेनेवाले डोबरो इसके अलावे देश के पश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओड़िशा व झारखंड में कई यूनिवर्सिटीज में साहित्यिक व्याख्यान भी दे चुके हैं।

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