Chandil: चांडिल पाटा टोल विवाद मामले में जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कुंभ मेले के राष्ट्रीय प्रभारी फदलुगोडा काली मंदिर के महंत विद्यानंद सरस्वती का नाम उछाले जाने के पर महंत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि साजिश के तहत हिंदू सनातन धर्म को बदनाम किया जा रहा है जो बर्दाश्त नहीं होगा.उन्होंने कहा कि बीते 46 साल से ये सनातन धर्म प्रचार -प्रसार के साथ मानव कल्याण के दिशा में कार्यरत हैं. बावजूद इसके साजिश कर चंद लोगों द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा है।

महंत विद्यानंद सरस्वती

महंत विद्यानंद सरस्वती ने पाटा टोल विवाद में जबरन नाम जोड़े जाने के मुद्दे पर कहा है कि जो लोग भी साजिश कर इन्हें बदनाम कर रहे हैं उन्हें माकूल जवाब मिलेगा. महंत ने कहा कि टोल विवाद मामले को लेकर इन्होंने न्यायिक प्रक्रिया के तहत अपनी बातों को रखा है और इन्हें न्यायपालिका प्रशासन पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि विगत 46 साल से फ़दलूगोड़ा काली मंदिर ,चांडिल साधु बाबा मठिया आश्रम, दलमा शिव मंदिर से जुड़कर सनातन धर्म का पालन करते हुए जनकल्याण के कार्यों में लगे हैं. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, आदिम जाति कल्याण से जुड़े कई जनहित के कार्य किए हैं. बावजूद इसके मुट्ठी भर लोगों द्वारा कुचक्र रचा जा रहा है.

21 वर्षों से उच्च विद्यालय ,10 सालो से प्राइमरी स्कूल का कर रहे संचालन

महंत विद्यानंद सरस्वती द्वारा 21 वर्षों से चिलुगु में विद्यानंद सरस्वती उच्च विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. जिसमें आदिम जनजाति से लेकर स्थानीय गांव के छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बताया जाता है कि जमशेदपुर से चांडिल के बीच में उच्च विद्यालय नहीं होने से आसपास क्षेत्र के गांव के बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे थे. महंत विद्यानंद सरस्वती ने इस दिशा में प्रयास करते हुए चिलुगु में उच्च विद्यालय की स्थापना करवाई. जहां निशुल्क शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा आसनबनी पंचायत में प्राइमरी स्कूल स्थापना को लेकर 10 साल पहले इन्होंने प्रयास कर सरकार के स्तर पर स्कूल की स्थापना कराई .जिसका लाभ आज आसपास के बच्चों को मिल रहा है।

आदिवासी भूमिज रवि सिंह सरदार कि बदल गई जिंदगी

विद्यानंद सरस्वती ने वर्षों पूर्व आदिवासी भूमिज युवक रवि सिंह सरदार की अंगुली पकड़कर चलना सिखाया. पिता के निधन होने के बाद मां बर्तन धो, मजदूरी कर किसी तरह बेटे को पाल रही थी। महंत ने भूमिज रवि सिंह सरदार को उच्च शिक्षा के लिए देहरादून स्थित दून स्कूल में नामांकन कराया. गुजरात में नौकरी करने के बाद आज वह हरिद्वार में घर बनाकर सफल जीवन जी रहा है. इसके अलावा महंत विद्यानंद सरस्वती से कई आदिम जनजाति के युवक जुड़े हैं जो आज सफल जीवन यापन कर रहे हैं।

हरिद्वार में कराया झारखंड आश्रम का निर्माण, लंगर कंबल वितरण, जनहित जारी

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कुंभ मेले के प्रभारी होने के चलते महंत विद्यानंद सरस्वती द्वारा हरिद्वार में अपने प्रयास से झारखंड आश्रम का निर्माण कराया गया है .जहां साधु- संत सैलानियों के रहने खाने की नि:शुल्क व्यवस्था है .आश्रम के द्वारा प्रतिवर्ष ठंड में नि:शुल्क कंबल वितरण, कई धार्मिक आयोजन पर विशाल लंगर का आयोजन, समय-समय पर आसपास के क्षेत्र में रक्तदान शिविर, हेल्थ कैंप का भी आयोजन किया जाता रहा है. जिसका लाभ लोगों को मिलता है।

पूर्व में भी में महंत को घेरने हुई थी साजिश, बैकफुट पर आ गए थे अधिकारी

वर्षो पूर्व 90 के दशक में चांडिल फदलुगोडा स्थित काली मंदिर जमीन मामले में पूर्व के अधिकारियों द्वारा महंत विद्यानंद सरस्वती को घेरने का प्रयास किया गया था। नतीजा रहा कि इन्होंने न्यायिक प्रक्रिया के तहत हाई कोर्ट से टाइटल सूट में काली मंदिर जमीन प्राप्त की बाद में सभी प्रशासनिक अधिकारी बैकफुट पर आ गए और मामले का बीजारोपण करने वाला मानसिक दिवालिया घोषित हुआ।

Share.
error: Content is protected !!
Exit mobile version