Chaibasa/Gua :- भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की 9वीं बटालियन (बिहटा, पटना) के द्वारा आरटीसी सभागार किरीबुरु में प्राकृतिक आपदा के दौरान लोगों की जान-माल की तत्काल रक्षा व सहायता कैसे उपलब्ध कराया जाये, इसकी तकनीकी जानकारी प्रोजेक्टर आदि द्वारा एनडीआरएफ की 20 सदस्यीय टीम ने किरीबुरु खादान में मौक ड्रील कर दिया. इस दौरान सहायक समादेष्टा विनय कुमार सिंह के नेतृत्व में एवं सेल की किरीबुरु खादान के महाप्रबंधक कमलेश राय, मेघाहातुबुरु के महाप्रबंधक आर पी सेलबम, सीआईएसएफ के उप समादेष्टा डी एस चाहर आदि की उपस्थित रहे.

इस मॉक ड्रिल के दौरान प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कैसे मैनेजमेंट करना है उसकी जानकारी देते हुये घटनास्थल पर इनसिडेंट कमांड पोस्ट, मेडिकल कैंप, कम्युनिकेशन सेंटर सह आपातकालीन संचार संसाधन केन्द्र, स्टेगिंग एरिया आदि का निर्माण कर कैसे मदद कार्य चलाना है. उसकी विशेष जानकारी फ्रंट लाईन एजेंसी जैसे सीआईएसएफ, पुलिस, सेल अस्पताल टीम, खादान के सुरक्षा व आपातकालीन विभाग समेत सेल की किरीबुरु एंव मेघाहातुबुरु खादान के सैकड़ों सेलकर्मियों को दी गई. इस मौकड्रिल के दौरान विशेष जानकारी यह दी गयी की अगर किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान कोई व्यक्ति अगर मृत स्थिति में दिखाई दे तो उसकी जीवन बचाने हेतु सीपीआर कैसे देना है. उसकी विशेष जानकारी देते हुये बताया गया की दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के दोनों फेफडा़ के बीच का हिस्सा जहाँ समाप्त होता है. उससे दो अंगुली उपर में दोनों हथेली को आपस में जोड़ कर काफी तेज गती से दो मीनट के अन्दर तीस बार चेस्ट कम्प्रेशन करना है. चेस्ट कम्प्रेशन इतना दबाव के साथ करना है कि पांच से छः इंच अंदर तक दबाव बनें. इसके अलावे दो बार नाक अथवा मुंह में अपना मुंह से वेंटिलेशन देना है. चेस्ट कम्परेशन के दौरान अगर कोई रिब्स की हड्डी टूट भी जाती है तो वह बडा़ मामला नहीं है. यह कार्य करने से पहले पीड़ित व्यक्ति के परिवार से सहमति अवश्य प्राप्त कर लें अन्यथा वह आपके उपर बाद में गलत आरोप भी लगा सकता है. बच्चा अगर हो तो उसे चार सेन्टीमीटर तक चेस्ट कम्प्रेश हल्के हाथों से उतनी हीं बार दें. इससे पहले 24 मार्च 2021 को इसी टीम द्वारा किरीबुरु एंव मेघाहातुबुरु खादान में भी ऐसा हीं मौक ड्रिल का आयोजन कर लोगों को प्राकृतिक आपदा से निपटने की जानकारी दी थी. इस बाबत एनडीआरएफ के सहायक समादेष्टा विनय कुमार सिंह ने बताया कि डिजास्टर आने के पहले ही उससे बचाव हेतु हमें तमाम प्रकार की तैयारियाँ कर लेनी होती है. ताकि मैन और मैटेरियल का नुकसान कम हो सके. इसी जागरूकता कार्यक्रम के तहत हमारी टीम यहाँ आयी है.

यहाँ डिजास्टर आने से पहले क्या तैयारी रखनी है, आने के बाद क्या और कैसे विभिन्न स्टेक होल्डरों के बीच कोऑर्डिनेशन बनाकर रिस्पौंस करना है उसकी जानकारी दी गई. डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान और उससे जुड़ी जिम्मेदारी का दायित्व दिया जाये एवं समय-समय पर अभ्यास करते रहा जाये उसकी जानकारी दी गयी. उन्होंने कहा कि खादानों में ब्लास्टिंग होती है, जिससे भू-स्खलन एंव सारंडा जंगल की आग से उत्पन्न हालात से भी लोगों को बचाया जा सकता है, सेल की मेघाहातुबुरु खादान में 2 जून को भी मौकड्रिल किया जाएगा।

इस दौरान महाप्रबंधक एसएस साहा, महाप्रबंधक बीके मिंज, महाप्रबंधक भीके सुमन, महाप्रबंधक केबी थापा, सीआईएसएफ के इन्स्पेक्टर आरबी चौधरी एंव केआर मीणा, इन्स्पेक्टर वीरेन्द्र एक्का, थाना प्रभारी फिलमोन लकडा़, सहायक महाप्रबंधक एसयू मेद्दा, पीकेबी साहू, रथीन विश्वास, मानस राऊत मौजूद थे.

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