Ranchi (रांची) : झारखंड में आदिवासी समाज के बीच बढ़ते धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर विरोध तेज हो गया है। इसी क्रम में केंद्रीय सरना समिति की महिला अध्यक्ष निशा भगत ने आज राजधानी रांची में प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराते हुए मुंडन करवाया और सरकार व प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया।
निशा भगत का कहना है कि राज्य में लगातार आदिवासी समुदाय को लालच, प्रलोभन और धोखे से धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि सदियों से चली आ रही आदिवासी पहचान, संस्कृति और सरना धर्म पर सीधा हमला है।

धरना देकर जताया विरोध
केंद्रीय सरना समिति के बैनर तले बड़ी संख्या में महिलाएँ और पुरुष मोरहाबादी मैदान में जमा हुए और धर्मांतरण के खिलाफ शांतिपूर्ण धरना दिया। धरना स्थल पर निशा भगत ने कहा कि बाल मुंडन उनका व्यक्तिगत बलिदान नहीं, बल्कि यह पूरी आदिवासी बहन-भाइयों की ओर से एक संदेश है कि अब समाज चुप नहीं बैठेगा।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि धार्मिक परिवर्तन की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं और कई जगहों से ऐसे प्रयासों की शिकायतें मिल रही हैं। समिति की मांग है कि सरकार इन घटनाओं की उच्च स्तरीय जाँच कराए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे।
राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
धरना समाप्त होने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और विस्तृत ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आदिवासियों के मूल धर्म सरना की रक्षा, धर्मांतरण पर सख्त रोक, आरोपी संगठनों पर निगरानी और धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने की मांग की गई है।
राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि आदिवासी परंपरा और आस्था पर हो रहे निरंतर हमलों को रोकना अब अत्यावश्यक हो गया है। समिति ने यह चेतावनी भी दी कि यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
समुदाय में प्रतिरोध की भावना मजबूत
इस पूरे कार्यक्रम के बाद रांची सहित कई जिलों में सरना अनुयायियों के बीच संदेश गया है कि धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर संगठन अब पहले से ज़्यादा सक्रिय है। महिलाओं की बड़ी भागीदारी ने इस विरोध को और अधिक सशक्त बनाया है।
निशा भगत के मुंडन कराने की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिन पर बड़ी संख्या में लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
