Chaibasa :- कुड़मी-महतो के द्वारा आदिवासी बनने की मांग के विरोध में कोल्हान का मुख्यालय चाईबासा में मंगलवार को आदिवासी समुदाय के लोग एकजुट होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए जन आक्रोश रैली करेंगे. इस प्रदर्शन की तैयारी को लेकर कोल्हान आदिवासी एकता मंच की बैठक आदिवासी सामाजिक संगठनों के साथ बैठक आदिवासी हो समाज कला एवं संस्कृति भवन हरिगुटू महासभा परिसर में संपन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष रमेश जेराई ने किया.

 

बैठक में अध्यक्ष ने कहा कि सदियों से आदिवासी और मूलवासी झारखंड में आपसी भाईचारा के साथ रहते आ रहे हैं. भाषा और स्थानीयता के आंदोलन में चट्टानी एकता का परिचय भी दिया. इससे भयभीत हो कर बड़े षडयंत्र के तहत राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञों द्वारा झारखंडी एकता को तोड़ने और आपस में फूट डालो और राज करो की नियत से कुड़मी को आदिवासी बनने और बनाने के नारा को बुलंद किया जा रहा है. जिसमे कुड़मी समुदाय तथ्यहीन और आधारहीन बातों के साथ झारखंड में आंदोलनरत है. कुड़मी/महतो समुदाय आदिवासी में शामिल होने के लिए फ्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सड़क से संसद तथा रेल रोको आदि गतिविधियों के माध्यम से सरकार और आम लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. वहीं कुड़मी/महतो आदिवासी में शामिल हो जाने से असली आदिवासी समाज/अनुसूचित जनजाति के अस्मिता और अस्तित्व को खतरा है. यह मूल आदिवासियों के भावी पीढ़ीयों के लिए शिक्षा, रोजगार, आरक्षण, राजनैतिक और संवैधानिक अधिकारों का हनन है. बैठक में मंच को और मजबूती देने के लिए मंच की सचिव और कोषाध्यक्ष पद के लिए रवि बिरुली, सह कोषाध्यक्ष पद पर मुरारी आलडा और मीडिया प्रभारी के रूप में राहुल पूर्ति को अतिरिक्त जिम्मादारी दी गई.

बैठक के बाद अध्यक्ष ने बताया कि कोल्हान प्रमंडल मुख्यालय चाईबासा में 25 अक्टूबर को सम्पूर्ण आदिवासी समाज हो, मुंडा, संथाल, उरांव, भूमिज, खड़िया, बिरहोड़ तथा विभिन्न आदिवासी संगठन, नौजवान, बुजुर्ग,कलाकार, साहित्यकार, डॉक्टर्स, अधिवक्ता, स्वयं सेवी और बुद्धिजीवी वर्ग आक्रोश रैली कर अपना विरोध और जन आक्रोश प्रकट करेंगे. यह रैली पूरे चाईबासा मुख्यलय में होगी जिसकी तैयारी जोरशोर से चल रही है. कुरमी /महतो को आदिवासी बनने से रोकने के लिए तमाम आदिवासी समाज और संगठन आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. रैली टाटा कॉलेज मैदान से शुरू होकर ताबो चौक, बस स्टैंड, सुप्पलसई साई चौक, एसपीजी स्कूल होते हुए आदिवासी हो समाज महासभा परिसर में समाप्त होगी. इस दौरान 12 से अधिक जगहों पर माल्यार्पण कार्यक्रम भी किया जाएगा. आदिवासी हो समाज महासभा परिसर में आगंतुक सभी आदिवासी समुदाय के लोगों को जलपान कराया जाएगा एवं सभा किया जाएगा. सभा में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी और गांव से लेकर राज्य-केंद्र तक आगे की प्रदर्शन के लिए रणनीति तैयार की जाएगी.

Share.
error: Content is protected !!
Exit mobile version