Chaibasa : कोल्हान के आदिवासी “हो” बहुल गांवों में उनका सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार “माघे पर्व” की तैयारी शुरू हो गयी है. घरों की मरम्मत एवं पूजा स्थलों की सफाई का काम श्रमदान से चालू हो गया है.

 

महिलाएं भी मिट्टी के घरों की लिपाई तथा दीवारों की रंगाई-पुताई में जुट गयी है. घरों के छप्पर भी व्यवस्थित किया जा रहा है. पूजा स्थल की साफ-सफाई तथा समतलीकरण का कार्य भी चल रहा है. वहीं गांवों में सामूहिक नृत्य के लिये बने नृत्य अखाड़ों को भी दुरुस्त किया जा रहा है. वहीं कई गांवों में माघे पर्व के तीसरे दिन हारमागेया पर्व के उपलक्ष्य में खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित किये जाने की तैयारी भी परवान चढ़ रहा है. कुछेक गांवों में तो मनोरंजन के लिये मुर्गापाड़ा भी आयोजित किया जाता है. इसकी भी तैयारी चालू हो गयी है. पर्व में खानपान तथा पूजा में काम आनेवाले पत्तों की व्यवस्था में महिलाएं जुट गयी हैं. जंगलों में जाकर पत्ते तोड़कर ला रही है. ज्ञात हो कि आदिवासी “हो” बहुल गांवों में मकर संक्रांति से लेकर अप्रैल माह तक अपनी सुविधानुसार तिथि तय कर मनाने की परंपरा है. गांव स्तर पर होनेवाले इस पर्व की तिथि की घोषणा ग्रामीणों की सहमति से ग्राम दिऊरी (धार्मिक पुरोहित) द्वारा होती है. परंपरागत रूप से यह पर्व सात दिनों का होता है जिसमें हर दिन अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किया जाता है. अदिवासी हो समुदाय का यह सबसे बड़ा उत्सव भी है. कृषि कार्य की समाप्ति के बाद प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जताने के लिये यह पर्व उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

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