Chaibasa :- झारखंड के कुल पांच विश्वविद्यालय रांची विश्वविद्यालय, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय, बिनोवा भावे विश्वविद्यालय, सिद्धू-कान्हू विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति , प्रति कुलपति एवं कुल सचिव के नहीं होने से झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पर काफी असर पड़ा रहा है। सभी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक पद प्रभारी के भरोसे चल रहे हैं पांच विश्वविद्यालय में लगभग 6 माह पूर्व ही कुलपतियों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है जिसका विज्ञापन भी आमंत्रित किया गया था. अभी कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राजभवन भी चुपचाप मौन में है.

कोल्हान विश्वविद्यालय छात्रसंघ पूर्व सचिव सुबोध महाकुड़ ने कहा कि प्रभारी कुलपति के रहने के कारण वित्तीय कार्यों में काफी बाधा आ रही है यहां तक की एक आपातकालीन डिग्री प्रमाण पत्र लेने के लिए भी विद्यार्थियों को अपर प्रशासनिक पदाधिकारी का इंतजार करना पड़ रहा है कुछ विश्वविद्यालयों में मात्र कुलसचिव ही विश्वविद्यालय का कार्वेक्षक देखरेख कर रहे हैं परंतु अब उनका भी कार्यकाल खत्म हो रहा है एक तरह से कहें तो लगभग विश्वविद्यालय के सभी बड़े प्रशासनिक पद पर प्रभारी के भरोसे ही शिक्षा व्यवस्था चलेगी विगत 6 वर्ष बीत गए कोल्हान समेत अन्य विश्वविद्यालय में भी छात्र संघ चुनाव नहीं हुआ है।

प्रभारी कुलपति होने से आवश्यक कार्यों में काफी बाधा
विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति रहने से आवश्यक कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के कार्यों में काफी बढ़ा रही है छात्र हित में सकारात्मक ठोस निर्णय लेने में प्रभारी कुलपति हिचकीचाह रहे हैं ।

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