Chaibasa :- चक्रधरपुर स्थित बोड़दा पुल के बहुचर्चित हिट एंड रन केस में 5 वर्ष बाद आए फैसले से मृतकों के परिजन संतुष्ट नहीं हैं. कार से कुचल कर सात लोगों को मौत की नींद सुला देने के आरोपी कांग्रेस नेता सौरभ अग्रवाल को महज आठ साल कारावास की सजा को मृतकों के परिजनों ने अपने साथ अन्याय बताया है. साथ ही मुजरिम को कम से कम आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की.

 

ज्ञात हो कि 3 मार्च 2018 को सौरभ अग्रवाल ने चक्रधरपुर के बोड़दा गांव के पास एरे बोंगा (पूजा) कर रहे 7 लोगों को कार से कुचल कर मार डाला था. मृतकों में चार लोग गोइलकेरा प्रखंड के जामजुई और लोसोडइकिर गांव के थे. इस घटना में बाल बाल बचे सोहराय हेम्ब्रम ने अपने परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया था. सोहराय के भाई सोमा हेम्ब्रम और दुगे हेम्ब्रम की हादसे में मौत हो गई थी. दर्दनाक हादसे को याद करते हुए सोहराय आज भी सिहर उठते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बुआ डोली हेम्ब्रम की शादी मंझारी के जोजोदुई गांव के चमन पिंगुआ के साथ तय हुई थी. विवाह पूर्व रस्म अदायगी के तहत दोनों पक्षों के करीब 20 लोग बोड़दा गांव के पास पूजा कर रहे थे. तभी अनियंत्रित तेज रफ्तार कार ने 15 लोगों को कुचल दिया. जिससे वहां कोहराम मच गया. घटना में सही सलामत बचे सोहराय ने ही सौरभ अग्रवाल को ड्राइविंग सीट पर दबोच लिया था. उसने बताया कि मुजरिम को चाईबासा के जिला सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला की अदालत से आठ साल कैद की सजा सुनाए जाने की जानकारी मिली. लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं हैं. मुजरिम को कम से कम आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए.

पति को याद कर रोने लगी पालो

हादसे में जान गंवाने वाले जामजुई के ही सुखलाल हेम्ब्रम की पत्नी पालो कुई से जब सजा के बाबत पूछा गया तो पति को याद कर वह जार-जार रोने लगी. उसने कहा कि हादसे के बाद उसकी दुनिया उजड़ गई है. गोइलकेरा के ही लोसोडइकिर के मोटाय बोदरा की भी कार से कुचलने के कारण मौत हो गई थी. पेशे से दिउरी मोटाय बोदरा एरे बोंगा संपन्न कराने के लिए लड़की वालों की तरफ से बोड़दा गए थे. लेकिन वापस उनकी लाश ही गांव लौटी.

मुआवजे के नाम पर मिला केवल 20 हजार

मृतकों के परिजनों को घटना के करीब पांच साल बाद भी मुआवजा नहीं मिला है. हादसे के बाद अंचल कार्यालय से पारिवारिक लाभ योजना के तहत केवल 20-20 हजार रुपये दिए गए थे. कार से कुचले जाने के कारण जिनकी मौत हुई थी, वे सभी परिवार के लिए कमाते और भरण पोषण करते थे. सोमा और दुगे हेम्ब्रम के छोटे भाई पांडा हेम्ब्रम ने बताया कि दर्दनाक हादसे के बाद लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेता उनके घर पहुंचे थे और मुआवजे को लेकर आश्वासन भी दिया था. लेकिन फिर किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली. मृतकों में सोमा हेम्ब्रम, दुगे हेम्ब्रम, सुखलाल हेम्ब्रम और मोटाय बोदरा का परिवार तंगहाली की जिंदगी बसर कर रहा है.

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