Chaibasa :- आदिवासी हो समाज महासभा, कला एवं संस्कृति भवन हरिगुटु, चाईबासा में कुड़मी-महतो द्वारा आदिवासी बनने की माँग के विरोध में विभिन्न आदिवासी संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता कोल्हान आदिवासी एकता मंच के अध्यक्ष-सह-पूर्व डिप्टी स्पीकर, बिहार विधानसभा देवेन्द्र नाथ चम्पिया ने किया.

इस बैठक में आदिवासी समन्वय समिति, राँची से विशेष रूप से पूर्व शिक्षा मंत्री गीता श्री उराँव, पूर्व शिक्षा मंत्री, बिहार सरकार, देव कुमार धान, सिंहभूम चाईबासा के पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू,सामाजिक कार्यकर्त्ता लक्ष्मी नारायण मुंडा, प्रेमशाही मुंडा आदि शामिल हुए. बैठक में कुड़मी-महतो द्वारा आदिवासी सूची में सम्मिलित होने की माँग के विरोध में विस्तारपूर्वक प्रेस-वार्ता किया गया.

वार्ता के उपरांत मंच की बैठक में सभी उपस्थित सदस्यों ने 5 मार्च 2023 को राँची में निर्धारित महारैली में हजारों की संख्या में कोल्हान प्रमंडल से भागीदारी कराने का संकल्प लिया. स्थानीय सामाजिक संगठन तथा मंच की ओर से प्रखंड कमिटि के पदाधिकारियों से आग्रह किया गया कि पंचायत एवं ग्राम स्तर से प्रचार-प्रसार एवं रैली में जाने के लिए संसाधन जुटाया जाए.
चाईबासा में बैठक करने के बाद सिलसिलेवार तरीके से सरायकेला-खरसाँवां एवं पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर में 05 मार्च को आदिवासी बचाव महारैली कार्यक्रम की तैयारी के संबंध में मंच की ओर से बैठक रखने का जानकारी दिया गया. तैयारी बैठक में कुड़मी-महतो द्वारा आदिवासी सूची में शामिल होने की माँग के विरोध में गाँव-गाँव आदिवासियों को जगाने और एकत्रित करने का उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया. कोल्हान प्रमंडल से हो, मुंडा, उराँव, भूमिज, संथाल एवं अन्य सभी आदिवासी समाज के लोगों को घर-घर से आदिवासी बचाव महारैली में शामिल होने के लिए विभिन्न प्रखंड- पंचायत में जागृति अभियान चलाया जाएगा.

 

इस बैठक में कोल्हान आदिवासी एकता मंच सहित आदिवासी हो समाज महासभा,आदिवासी हो समाज युवा महासभा, आदिवासी हो समाज सेवानिवृत्त संगठन, जैसे विभिन्न संगठनों से रामाय पुरती, चैतन्य कुंकल, मानसिंह सामड, चन्द्रमोहन बिरूवा, डॉ बबलु सुंडी, विनोद सवैयाँ, छोटु जामुदा, गब्बरसिंह हेम्ब्रम, रियांस सामड, नितिन जामुदा, गलाय चातोम्बा, बलराम लागुरी, रामबली सिंकू, सुनील सामड, ओयबन हेम्ब्रम, कमलेश बिरूवा,मेक्स सवैंया, पंकज बंकिरा, हेमंत सामड, कमला सिंकू, प्रमिला बिरूवा, तुलसी बारी, पार्वती हेम्ब्रम, हीरामनी पाड़ेया सहित काफी संख्या में सामाजिक कार्यकर्त्तागण मौजूद थे.

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