सरायकेला: पवित्र कार्तिक स्नान को लेकर ओड़िया बहुल क्षेत्र सरायकेला- खरसावां में काफी महत्व है। कार्तिक स्नान के दौरान प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में महिलाएं ‘बालूका’ पूजा करते हैं और भगवान राधा- कृष्ण के स्वरूप में भगवान ‘जगन्नाथ’ एवं ‘राई’ की पूजन करते हैं।

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इस दौरान महिलाएं सुबह 4 बजे से खरकई के तट पर प्रत्येक दिन एकत्रित होते हैं और स्नान करने के पश्चात बालूका पूजा में भाग लेते हैं। समाजसेवी कार्तिक परीक्षा ने बताया कि पवित्र कार्तिक स्नान के दौरान भगवान जगन्नाथ व राई का विवाह समारोह भी आयोजित होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ के स्वरूप भगवान श्री कृष्णा एवं राधा के स्वरूप राई के रूप में महिलाएं सजती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ ने राई के साथ भी विवाह किए थे, और इस माह में वे राई के साथ ही रहते हैं जबकि बाकी के 11 माह भगवान जगन्नाथ माता लक्ष्मी के साथ श्री मंदिर में रहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा तक यह कार्यक्रम आयोजित होती हैं। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस कार्यक्रम का समापन होगा । कार्तिक स्नान करने वाले महिलाओं ने कहा कि यह पवित्र माह में स्नान कर बालूका पूजा करने वालों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है।कार्तिक परीक्षा ने कहा कि यह स्थानीय परंपरा है, जिसे संरक्षित कर रखने के लिए भारत सरकार एवं प्रशासक के बीच समझौता हुई थी, परंतु सरकार केवल औपचारिकता ही पूरा करती है। परंपराएं एवं सांस्कृतिक धरोहर के प्रति किसी प्रकार की दायित्व नहीं निर्वाह किया जा रहा है जिससे स्थानीय लोग काफी नाराज हैं।

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