Saraikela : केंद्र सरकार के वात्सल्य योजना का लाभ लेने वाले लाभुक से प्रतिमाह एक हजार रुपये वसूलने के आरोप में फंसे जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी (डीसीपीओ) संतोष कुमार के मामले में पीड़िता छोटा दावना पंचायत के कदमडीह गांव की पुष्पा महतो की शिकायत जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय में भी की गई हैं.

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जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव कुमार क्रांति प्रसाद ने पूछताछ कर पीड़िता से पूरी जानकारी हासिल की हैं । पीड़िता ने सचिव को पूरे मामले से अवगत कराया कि किस तरह डीसीपीओ उनके घर आकर रुपये की वसूली करते थे। इतना ही नहीं गुरुवार की शाम जब डीसीपीओ को पूरे मामले की जानकारी हुई तो वे तीन चार लोगों के साथ पीड़िता के घर पहुंच गए और उन्हें मामले को वापस लाने के दबाव बनाने लगा। जब पी़ड़िता ने मामले को वापस लेने से मना किया तो पीड़िता को रुपये का भी लालच देने लगा। लेकिन पीड़िता ने डीसीपीओ को बैरंग अपने घर से लौटा दिया। इसके बाद पीड़िता के मोबाइल पर एक दंबग व्यक्ति ने फोन कर धमकाने का भी प्रयास किया। जिसकी पूरी जानकारी पीड़िता ने अधिकारी के समक्ष विस्तार पूर्वक रखा। मामले में संज्ञान लेते हुए सचिव कुमार क्रांति प्रसाद ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार को पूरे मामले से अवगत कराया। जिसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए उपायुक्त रविशंकर शुक्ला के पास भी मामला पहुंचा गया है.

मामले के लीपा पोती में जुटे जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी

भारत सरकार की स्पोंसरशिप वात्सल्य योजना का लाभ लेने वाले लाभुक से बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा प्रतिमाह एक हजार रुपये वसूलने का मामले में बाल संरक्षण पदाधिकारी मामले को रफा दफा करने में लगे है। इसके लिए जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी (डीसीपीओ) संतोष कुमार ठाकुर एड़ी चोटी एक कर दिए है। पीड़िता पुष्पा से मिली जानकारी के अनुसार सरायकेला प्रखंड के छोटा दावना पंचायत अंतर्गत कदमडीह गांव की लाभुक पुष्पा महतो से पैसा लिए जाने का मामला सामने आने के बाद डीसीपीओ स्वंय कुछ लोगों के साथ लाभुक के घर पहुंचकर पीड़िता को धमकाने का काम किया। जब पीड़िता को उसकी धमकी का कुछ असर नही हुआ तो वे उनके समक्ष पैसा का लालच देने लगे और कहा गया कि आप जितना पैसा बोलोगे उतना देंगे लेकिन मामले को खत्म कर दीजिए। पीड़िता लाभुक ने जब पैसा लेने से भी इनकार कर दी तो डीसीपीओ ने अपनी पत्नी को लाभुक के घर भेज दिया और रोती बिलखती पत्नी माफ करने की बात करने लगी। पूरे मामले में पहले दिन गांव के कुछ लोग भी पीड़िता का विरोध कर रहे थे लेकिन ग्रामीण जब मामले की हकीकत से रु ब रु हुए तो पीड़िता के पक्ष में खुलकर सामने आ गए। बताया जा रहा है जिन छुटभैये लोगों के साथ डीसीपीओ पीड़िता के घर गए थे। ग्रामीण एकजुट होजर शुक्रवार शाम को उस छुटभैये लोगो के घर पहुंचकर सावधान रहने की हिदायत दे डाली। जिसके बाद अफसर का पक्ष लेने वाले कुछ छुटभैये नेता भी शनिवार को घरों में दुबके दिखे। वही बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार ने भी इन आरोपों को एक बार फिर खारिज किया है . इधर पीड़िता ने बताया पति के आकस्मिक निधन के बाद मेरा परिवार पूरा विखर गया था ऐसे में स्पॉन्सरशिप योजना सहारा बनी और इसमें लूट करने वालों पर कारवाई होना ही चाहिए।

क्या है पूरा मामला

सरायकेला-खरसावां जिले में करीब 250 बच्चों को स्पान्सरशिप योजना के तहत सरकार की ओर से लाभ दिया जा रहा है। कोरोना काल के दौरान जिन बच्चों के माता पिता या किसी एक का निधन हो गया था वैसे बच्चों को सरकार की ओर से प्रतिमाह दो हजार रुपये दिए जा रहे थे। लेकिन तीन माह पहले से उक्त राशि को बढ़ा कर चार हजार रुपये कर दी गई। कदमडीह निवासी पुष्पा महतो ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके पति अशोक कुमार महतो का निधन कोरोना काल में हो गया था। जिसके बाद उनके दो बच्चे सुंगध कुमार महतो व निमाई कुमार महतो के पालन पोषण व स्कूल के फीस को लेकर समस्या आने लगी। तभी उन्हें सरकार की स्पान्सरशिप योजना से जोड़ा गया। स्पान्सरशिप राशि के बैंक में पहुंचते ही जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार मोटरसाइकिल से उनके घर पहुंच जाते हैं और राशि पहुंचने की बात पूछते हैं और फिर एक एक हजार रुपये की मांग करते हैं। जब उनलोगों ने राशि देने से इंकार किया तो एक बच्चे का नाम स्पान्सरशिप योजना से काट देने की धमकी देने लगे। जिसके कारण उनलोगों ने तीन बार में ढाई हजार रुपये संतोष कुमार को दे चुके हैं। संतोष कुमार द्वारा रुपयों के लिए धमकाने से वे लोग परेशान होकर इसकी शिकायत बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष से की थी। जिसके बाद मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव कुमार क्रांति प्रसाद ने संज्ञान में लिया और पीड़िता को अपने कार्यालय बुलाकर पूछताछ की।

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