भारत सरकार द्वारा सरायकेला के राजनगर निवासी 52 वर्षीय चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है, नारी सशक्ति सम्मान समेत कई पुरस्कार से नवाजी गई चामी मुर्मू को पद्मश्री के लिए चयनित किए जाने पर इन्होंने सरकार के प्रति आभार जताया है ,इन्होंने लगातार तीन बार पद्मश्री पुरस्कार के लिए आवेदन किया था।

 

तकरीबन 30 वर्षों में इन्होंने 30 लाख से भी अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण का संरक्षण किया है, इसके अलावा महिला सशक्तिकर,ण तालाब, जल स्रोत के निर्माण में सहयोग कर ग्रामीणों को भी जागरूक किया है, चामी ने महिलाओं को भी सर्वाधिक स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से कई कार्य किए हैं, जिसे लेकर इन्हें राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त पुरस्कारों से नवाजा चुका है। विशेष बातचीत के क्रम में चामी मुर्मू ने बताया कि गुरुवार दोपहर 3 बजे सरायकेला -खरसावां के जिला उपायुक्त रविशंकर शुक्ला द्वारा दूरभाष पर इन्हें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने संबंधित जानकारी दी गई है.

2300 महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

 

सन 1990 में चामी मुर्मू ने सहयोगी महिला नामक एनजीओ का गठन किया, इसके बाद इन्होंने सबर जनजाति समेत आदिम जनजाति के महिलाओं को एकत्रित कर उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम किया। वर्तमान में 2300 से भी अधिक महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें बैंक से विभिन्न योजनाओं के तहत ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार से जोड़ रही हैं, इसके अलावा दलमा के सुदूरव्रती तराई क्षेत्र में बसे आदिम जनजाति के परिवार के महिला एवं बालिकाओं के उत्थान को लेकर भी इन्होंने कई कार्य किए हैं.

 

मदर टेरेसा को आदर्श मान शुरू किया सामाजिक कार्य

 

 

52 वर्षीय अविवाहित चामी मुर्मू ने बताया कि मदर टेरेसा को अपना रोल मॉडल मान इन्होंने सामाजिक कार्य की शुरुआत की ,दो भाई एवं बहन में सबसे बड़ी चाबी मुर्मू ने अपना जीवन महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में गुजारा है, इसी सामाजिक उत्कृष्ट योगदान के लिए इन्हें पद्मश्री दिए जाने की घोषणा की गई है।

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