सरायकेला: झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में सरायकेला जिला प्रशासन और जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा सरायकेला जिले के चांडिल अनुमंडल अंतर्गत चवालीबासा में राज्य स्तरीय विधिक सेवा सशक्तिकरण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें आदिम जनजाति और आर्थिक रूप से पिछड़ों को कानूनी तौर पर हक और अधिकार की जानकारी देते हुए जागरूक किया गया।

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जागरूकता शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एवं झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष सुजीत नारायण प्रसाद तथा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी न्यायमूर्ति संजय प्रसाद सरायकेला के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिले के उपायुक्त रविशंकर शुक्ल ने कहा की आदिम जनजाति एवं सामाजिक तौर पर पिछडे लोगों को उनके हक और अधिकार दिलाने और कानून के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित है, उन्होंने बताया कि संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत कानून और न्याय सबों के लिए समान है, इससे पूर्व अतिथियों के आगमन पर स्थानीय झारखंडी वेशभूषा से सुसज्जित कलाकारों द्वारा उनका पारंपरिक रीति रिवाज से स्वागत व अभिनंदन किया गया. इस मौके पर जनसमूह को संबोधित करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एवं झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि लोगों को जागरूक करने उनके हक और अधिकार बताने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, ऐसे आयोजन से लोग जागरूक होंगे, तभी समाज, देश, राज्य का तरक्की होगा, वही चांडिल डैम विस्थापन के मुद्दे पर इन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया से इस समस्या को समाप्त किया जा सकता है, जबकि सुवर्णरेखा परियोजना पर जलकर के रूप में करोड़ों रुपए बकाया राजस्व होने के मामले पर.

 

परिसंपत्तियों का हुआ वितरण स्टॉल लगाकर योजनाओं की दी गई जानकारी.

 

 

जागरूकता शिविर के मौके पर ग्रामीणों के लिए कार्यक्रम स्थल पर कुल 21 स्टॉल लगाए गए, जहां राज्य सरकार के विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गयी। वहीं, सरकारी योजनाओं के लाभ हेतु आवेदन लिया भी लिया गया, साथ ही कई समस्याओं के समाधान ऑन द स्पॉट किया गया। 21 स्टॉल में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसायटी, ऊर्जा, स्वास्थ्य, नियोजन, पेंशन योजना, आधार कार्ड समेत अनेकों योजनाओं के स्टॉल थे, इस मौके पर अतिथियों द्वारा ग्रामीणों के बीच तकरीबन 35 करोड़ के परिसंपत्तियों का भी वितरण हुआ.

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