Chaibasa:- करीब साढ़े तीन महीने पूर्व 4वीं पैरा राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में पदक जीतनेवाले दो दिव्यांग तीरंदाज विजय सुंडी और तुलसी कारवा के लिए अब विदेश से अत्याधुनिक तीर-धनुष मंगवाया जा रहा है. ताकि वे आगे भी ऐसे ही उम्दा प्रदर्शन बरकरार रख सके. चाईबासा की मशहूर खनन खनन कंपनी एसआर रुंगटा ग्रुप ने इसके लिए संबंधित आपूर्तिकर्ता को राशि का भुगतान कर दिया है. जबकि कागजी प्रक्रिया इसके पहले ही पूरी कर ली गयी थी. अब विदेश से इनके लिये अत्याधुनिक तीर-धनुष आने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. अगले कुछ दिनों में इन तीरंदाजों की मॉडर्न बो (अति आधुनिक तीर-धनुष) की कमी की समस्या दूर हो जाएगी. ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले एसआर रुंगटा ग्रुप के मालिक व समाजसेवी मुकुंद रुंगटा ने सिकुरसाई स्थित तुरतुंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया था और आधारभूत संरचना समेत इन दो दिव्यांग तीरंदाजों को अत्याधुनिक तीर-धनुष देने की सार्वजनिक घोषणा की थी.
कौन है दिव्यांग विजय और तुलसी-
आदिवासी हो समाज से आनेवाले विजय सुंडी तथा तुलसी कारवा उभरते प्रतिभाशाली दिव्यांग तीरंदाज है. करीब साढ़े तीन महीने पहले हरियाणा के जींद में आयोजित चौथी पैरा राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में इन दोनों ने शानदान प्रदर्शन किया था. विजय सुंडी ने जहां एक गोल्ड मेडल और दो सिल्वर मेडल जीते थे. वहीं तुलसी कारवा ने ब्रोंज मेडल अपने नाम किया था। इसके बावजूद दोनों के पास उन्नत तीर-धनुष की कमी थी. तुरतुंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र के कोच महर्षि महेंद्र सिंकु के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्याधुनिक तीर-धनुष के बिना पदक जीतना लगभग असंभव है. लिहाजा भारत के बड़े तीरंदाज अत्याधुनिक तीर-धनुष अमेरिका, जर्मनी, दक्षिण कोरिया आदि देशों से मंगाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए विजय सुंडी के लिये रिकर्व बो और तुलसी कारवा को कंपाउंड बो दिया जा रहा है. ओलंपिक जैसे टॉप प्रतियोगिता में रिकर्व बो का प्रचलन है.
कहां के निवासी हैं ये तीरंदाज-
विजय सुंडी राजनगर प्रखंड के बोड़ोडीह और तुलसी कारवा तांतनगर प्रखंड के बानासंजू गांव के रहनेवाले हैं. विजय सुंडी करीब पांच वर्ष तक तुरतुंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र में शिक्षा ग्रहण करने के बाद अब टाटा आर्चरी एकेडमी के कैडेट हैं तो तुलसी कारवा कस्तुरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय तांतनगर में संचालित तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र की प्रशिक्षु हैं. विजय को करीब तीन लाख तो तुलसी को करीब साढ़े तीन लाख रुपये कीमत का मॉडर्न बो मिलेगा जो अत्याधुनिक इक्विपमेंट से लैस होगा. ज्ञात हो कि तुरतुंग तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र सिकुरसाई आज तीरंदाजों की नर्सरी के रूप में चहुंओर विख्यात है और प्रशिक्षक महर्षि महेंद्र सिंकु सहायक प्रशिक्षक शैलेंद्र सावैयां अभावों के बावजूद प्रशिक्षुओं की तीरंदाजी प्रतिभा तराशने-गढ़ने में जी-जान से जुटे हैं.