Chaibasa (चाईबासा) : आदिवासी हो समाज महासभा अपने नियमावली के अधीन उद्देश्यों, अधिवेशन और महाधिवेशनों में हो समाज के लिये गए निर्णयों को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के हैसियत से प्रत्येक गांव में “मोए हो” का गठन करने का निर्णय लिया है. उक्त जानकारी हो समाज के मुकेश बिरूवा ने दी.

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उन्होंने कहा कि “मोए हो” एक तरह से गांव में हो समाज के अभिभावक होंगे. हो समाज के लिए ‘मोए हो’ एक तरह का पंच होता है. समाज में जब भी कोई बात सामूहिक रूप से निर्णय लेने की होती है, तो गांव में मुंडा की अध्यक्षता में बैठक कर निर्णय लिया जाता है, तब उसे हो समाज में ‘मोए हो’ का निर्णय माना जाता है. यही वह व्यवस्था थी जब इतिहास में हो लोग अपने गांव को सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से संगठित रखे हुए थे. इसी व्यवस्था के कारण किसी समय राजा महाराजा, और अंग्रेजों को भी गाँवों में घुसने नहीं दिया गया, और कोल्हान अभेद किला की तरह बना रहा. कालान्तर में यह व्यवस्था मानकी मुंडा व्यवस्था में एक तरह से विलीन हो गया. लेकिन विल्किनसन रूल 20 में पुनः ऐसे ही पंच की व्याख्या मिलती है, लेकिन उसे भी सामाजिक परिपेक्ष्य में लागू नहीं किया जा सका. अभी हो समाज महासभा को अपने समाज के विभिन्न संस्कार जैसे जन्मसंस्कार, विवाह संस्कार और मृत्यु संस्कार के अलावा पर्व त्यौहार और अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को बचाए रखने के लिए गांव-गांव तक महासभा के उद्देश्यों को और समाज के हित में लिए गए निर्णयों को पहुंचाने की आवश्यकता के मद्दे नजर प्रत्येक गांव में मोए हो का गठन करने की शुरुआत केंद्रीय महासचिव सोमा कोड़ा के नेतृत्व में कोल्हान के ऐतिहासिक गांव राजाबासा से शुरू की गई. राजाबासा गांव में मोए हो का गठन ग्रामसभा में मुंडा कृष्ण जोजो की अध्यक्षता में संपन्न हुई.

हो समाज के लोग

ग्राम राजाबासा के ‘मोए हो’ के रूप में कृष्णा जोजो मुंडा, सिंगा बालमुचु दियूरी, कानूराम सोय डाकुवा, गुरुचरण सोय, सदस्य, जापान पूर्ति, सदस्य, रामो जोजो सदस्य, सुशील बालमुचु सदस्य और समीर चाँपिया को सदस्य के रूप में चयनित किया गया. ये लोग अब राजाबासा गांव में समाज के अभिभावक के रूप में माने और समझे जाएंगे, और जब भी कोई त्यौहार हो या हो समाज के जो भी अनुष्ठान सम्पन्न होंगे वहाँ पर कभी भी कोई दिक्कत आएगी तो ये लोग समाज के हित में मार्गदर्शन देंगे.

बैठक में जूरिया जोजो, सिकंदर बालमुचु, रसिका पूरती, धीरज गगराई, गुरुचरण सोय, विष्णु सोय, कानुराम सोय, रामचंद्र सोय, सचिन कुंकल एवं केंद्रीय महासचिव सोमा कोड़ा की गरिमामय उपस्थिति रही.

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