Chaibasa:- झारखंड राज्य सेवा प्राधिकार रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम के तत्वधान में कोर्ट परिसर स्थित मीटिंग हॉल में शनिवार को न्यायिक पदाधिकारियों और मध्यस्थ अधिवक्ताओं के बीच आवश्यक बैठक का आयोजन किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के निष्पादन को सुलभ और सहज बनाना था.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला ने न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका की विशेषताओं का वर्णन किया तथा इसके और प्रभावी बनाने पर चर्चा की. कार्यक्रम का संचालन करते हुए न्यायिक दंडाधिकारी सीनियर डिवीजन सह प्रभारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार राजश्री अपर्णा कुजूर ने बताया कि यह विवाद सुलझाने की एक ऐसी प्रक्रिया है. जिसके द्वारा मध्यस्थ (मीडिएटर) निष्प्रभावी एवं निर्विकार व्यक्ति के रूप में, विवाद ग्रस्त पक्षकारों को एक ऐसे समझौते के लिये तैयार करता है जिस पर पक्षकारों की सहमति होती है.
जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय श्री सूर्य भूषण ओझा ने न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए किसी भी मामले के सकारात्मक निष्पादन की एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया.

मौके पर उपस्थित अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार रखें, बैठक में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय योगेश्वर मणि, जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम ओम प्रकाश, जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय सूर्य भूषण ओझा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, कल्पना हजारिका, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शंकर महाराज, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, विनोद कुमार, न्यायिक दंडाधिकारी सीनियर डिवीजन राजश्री अपर्णा कुजूर ,अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी पोड़ाहाट, मिलन कुमार, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सह रजिस्ट्रार तौसीफ मेराज सहित कई मध्यस्थ अधिवक्ता शामिल थे.

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