Manoharpur :- पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखण्ड के डिम्बुली ग्राम के रैयत बनाम मेसर्स भिएस डेम्पो प्रा लिमिटेड एवं मेसर्स सेसा रिसोर्सेज लिमिटेड संबंधी सभी टीए मिस केस रद्द करने को लेकर दर्जनों की संख्या में डिम्बुली ग्राम के रैयत शनिवार को मनोहरपुर अंचल कार्यालय पहुचे.

पश्चिमी सिंहभूम जिला उपायुक्त के नाम एक मांग पत्र अंचल अधिकारी मनोहरपुर के अनुपस्थिति में अंचल कार्यालय के प्रधान लिपिक को सौंपा. डिम्बुली ग्राम के रैयतों का कहना है कि
मेसर्स भिएस डेम्पो प्रा लिमिटेड एवम मेसर्स सेसा रिसोर्सेज लिमिटेड ने हमारे गांव में उद्योग स्थापन के लिए वर्ष 2007-08 में जमीन की करना आरंभ किया था. मगर दोनो कंपनी अभी मनोहरपुर में कोई कार्य नही कर रहे है और ना ही उनका मनोहरपुर में किसी प्रकार का कार्यालय तक संचालित है. कंपनी द्वारा पांच साल के अंदर उद्योग स्थापित करने को था. परंतु 12 वर्ष के बाद भी यंहा उद्योग स्थापित करने को लेकर कोई गतिविधि नही किया गया. अभी डिम्बुली ग्राम के रैयत कंपनी को अपना जमीन नही देना चाहते है. इसी को लेकर रैयतों ने उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी से मांग किया है कि डिम्बुली ग्राम के रैयत बनाम मेसर्स भिएस डेम्पो प्रा लिमिटेड एवं मेसर्स सेसा रिसोर्सेज लिमिटेड संबंधी सभी टीए मिस केस के अभिलेखों की कार्रवाई को बंद करने की मांग की है.

 

रैयतों ने 2020 में वापस मांगी थी अपनी जमीन 
पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा जिला अंतर्गत मनोहरपुर अंचल के राजस्व गांव डिम्बुली में उद्योग स्थापना को लेकर रैयतों से मेसर्स भिएस डेम्पो प्रा लिमिटेड ने लगभग 110.53 एकड़ जमीन क्रय किया था। पर लगभव 12 साल बीत जाने के बाद में उक्त भूमि पर उद्योग लगाने तो दूर कंपनी ने एक पिलर तक खड़ा नही किया। अब रैयत अपना अपना जमीन वापस चाहते है। रैयतों ने जमीन वापसी को लेकर वर्ष 23 जुलाई 2022 को ही उपायुक्त को आवेदन दिया था। रैयतों का कहना था कि सीएनटी एक्ट के धारा 49 के तहत उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम टीए मिस केस बाद के तहत आदेश पारित कर राजस्व ग्राम डिम्बुली, थाना नम्बर- 86 में कंपनी द्वारा 110.53 एकड़ जमीन क्रय किया गया. जिसमें शर्त था की क्रेता द्वारा क्रय किये गए भूखण्ड का उपयोग उद्योग लगाने के अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य से नही करने को कहा गया था. ओधोगिक इकाई अधिकतम 5 वर्ष के अंदर स्थापित किये जाने को कहा गया है. पांच वर्षों में ओधोगिक इकाई स्थापित नही होने पर भूखण्ड का गैर औधोगिक इस्तेमाल होने की स्थिति में दी गयी अनुमति स्वतः निरस्त समझा जाएगा एवं करता का दायित्व होगा कि क्रय की गई भूखण्ड विक्रेता को हस्तगत कर दे. अन्यथा राज्य सरकार भूमि क्रेता पर समुचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

रैयतों का कहना है कि दलील दस्तावेज में क्रेता यह घोषित करते है कि तहसिक में वर्णित जमीन का उपयोग औद्योगिक या इससे संबंधित कार्य का आरंभ अगले 5 वर्ष के अंदर किया जाएगा. लेकिन दुर्भाग्य है कि कंपनी द्वारा क्रय किया गया 119.53 एकड़ भूखंड पर अबतक औद्योगिक इकाई का स्थापना नही कर सकती. इस लिए रैयतों का मांग है कि उनकी पुस्तैनी जमीन उन्हें वापस दिलवाने के प्रति कार्रवाई की जाए.

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