Jagnnathpur :- सावन महिना की शुरुवत होते ही पश्चिमी सिहभूम के झींकपानी प्रखंड के हाकुयम शिव मंदिर में सोमवार को जल चढ़ाने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा. जंगल और पहाड़ के बीच में बसे भगवान भोले शंकर का वह स्थान जहां पर मछली के रोने की आवाज आती है. इस धाम का नाम हाकुयम इसलिए पड़ा क्योंकि मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बरसों पहले इस जगह पर बहने वाले नदी की मछली भगवान शंकर की आराधना करने के लिए ऊपर चढ़ना चाहती थी. मगर वह ऊपर नहीं जा पाती थी, जिस वजह से वह रोती थी. कहा जाता है कि आज भी इस स्थान पर मछली के रोने की आवाज सुनाई देती है. दूरदराज से लोग यहां भगवान शंकर का जलाभिषेक करने सावन माह में आते हैं. सावन माह के दूसरे सोमवार को यहां लोगों का हुजूम देखते बनता है. विभिन्न सेवा समिति की ओर से यहां भक्तों के लिए भंडारा प्रसाद का आयोजन भी किया जाता है. चाईबासा ओडिशा मुख्य मार्ग एनएच 75 से सात किलोमीटर अंदर जंगल की ओर बसे भगवान भोले शंकर की आराधना के लिए ओडिशा बंगाल तथा झारखंड के अन्य जिलों से भी लोग आते हैं. यहां कंवारियो का तांता लगा रहता है.

पर अब बाबा की नगरी के लिए खराब सड़क से कैसे जाएंगे का कांवरिया…

मालुम हो कि चाईबासा झींकपानी एनएच रोड़ बड़ी वाहनो के चलने के कारण सड़क पुरी तरह गढ्ढा से तब्दील हो गई है भोलेनाथ के दरबार में काफी संख्या पर कांवरिया बम जल चढ़ाने जाते हैं. सड़क पर इतनी गड्ढा हो गई है बारिश के कारण कादो किचड़ हो जाने के कारण चार चक्का व दो चक्का वाहन चलना मुश्किल हो गया है. कांवरिया अपनी जान की बाजी लगाते हुए जोखिम रास्ते से पार होकर मंदिर जाते हैं. सावन का पहला सोमवार में कांवरियों का इतना भीड़ देखा गया है. अभी तीन सोमवार और बाकी है. प्रशासन से मांग है कि उक्त सड़क पर मट्टी या मुरूम डाल दे. ताकि कांवरियों को जाने के लिए किसी प्रकार की दिक्कत का सामना ना करना पड़े मालूम हो की आखरी शनिवार बोल बम व रविवार डाक बम हाकुयम शिव मंदिर से कांवरिया जल लेकर इसी तरफ से होते हुए मुर्गा महादेव जाते हैं.

Share.
error: Content is protected !!
Exit mobile version