Jadugoda : सार्वजानिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला भारत सरकार का अति महत्वपूर्ण संस्थान भारत के प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के नारे को खुलेआम मूंह चिढ़ा रहा है. साथ ही ऐसा कर रहे है यूसिल के वो भ्रष्ट अधिकारी जो अपने निजी लाभ के लिए किसी भी हद तक जाकर भ्रष्टाचार को अंजाम देने में तनिक भी परहेज नहीं करते. इसका जीता जागता उदाहरण है यूसिल में साफ़ सफाई के लिए निकाली जाने वाली सीमित निविदाएं.

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बता दें कि यूसिल में हर वर्ष करीब 1.5 करोड़ रुपयों की निकलेने वाली इस निविदा को केवल मुखी समाज विकास समिति को देने के लिए इन निविदाओं के लिए प्रस्तुत की जाने वाली दस्तावेजों की निगरानी के लिए बनाई गई मूल्यांकन कमिटी में शामिल अधिकारीयों ने जमकर नियम कानूनों की खिल्ली उडाई. जिस मामले की उन लोगों को निगरानी करनी थी उस पर वो सभी लोग जानबूझकर आँख बंद किये बैठे रहे. और फर्जी दस्तावजों को आगे बढ़ाते हुए निविदा की शर्तों में निर्धारित किये गए नियमो को दरकिनार करके मुखी समाज विकास समिति और उसके कथित जिला उपाध्यक्ष सुखो मुखी उर्फ़ टिकी मुखी पर आँख मूंदकर अपनी कृपा बरसाते रहे.

ये सभी निविदाएँ ( EOI-JAD/EM-98, EOI -JAD/EM-117, NIT -JAD/EM-106, NIT -JAD/EM-107, NIT -JAD/EM-126, NIT -JAD/EM-128, ) वर्ष 2019 में सीमित निविदा के नाम पर निकाली गयी. जिसमे निविदा पत्र में नियम एवं शर्तों वाले कॉलम में दो अनिवार्य शर्तें थी जिनके बिना कोई भी समिति इस टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकती थी . और इन सभी दस्तावेजों की जांच पड़ताल यूसिल सम्पदा विभाग के अधिकारीयों एवं अनुमोदन कमिटी में बैठे अधिकारीयों को करनी थी. टेंडर दस्तावेजो की कंडिका-2 में अंकित शर्त के अनुसार सभी समितियों के पास झारखण्ड सरकार के रजिस्ट्रार द्वारा सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत निबंधन का प्रमाण -पत्र होना जरुरी था. मगर साईं महिला समिति और ग्राम विकास समिति के पास ये प्रमाण -पत्र नहीं थे. और अनुमोदन कमिटी में बैठे लोगों को ये बात नज़र नहीं आयी या जानबूझकर इसे नज़रंदाज़ किया गया. खैर इस बात को अगर छोड़ भी दे तो अब बात करते हैं जीएसटी नंबर की अन्य सभी समितियों ने तो अपना -अपना वैध जीएसटी नंबर टेंडर दस्तावेजो के साथ उपलब्ध करवाया. मगर जब साईं महिला समिति का जीएसटी अभिलेख प्रस्तुत किया गया तो उसमे व्यापारिक पता के स्थान पर यूसिल आवासीय कॉलोनी के एक कम्पनी क्वार्टर ( A -6 / 45 ) का पता अंकित था, जो वैध नहीं है.

जांच करने पर पता चला की ये कम्पनी क्वार्टर यूसिल के एक कर्मचारी उपेन्द्र कुमार (ट्रेड्समेन डी -6963) के नाम आवंटित है. मगर साईं महिला समिति की कोषाध्यक्ष चंदा मुखी इस क्वार्टर को अपना बता कर इसको अपना व्यापारिक ठिकाना बना बैठी है. जबकि एक आर टी आई के जवाब में यूसिल के जन सूचना पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध करवाए गए जवाब (पत्रांक – यूसिल / ईएम-3 ( आरटीआई ) 271 /2023 दिनांक -13 /11 /2023 में यह स्पष्ट अंकित है की साईं महिला समिति जादूगोड़ा को यूसिल कॉलोनी में कोई क्वार्टर आवंटित नहीं किया गया है. जाहिर है की फर्जी दस्तावेजों को प्रस्तुत करके जीएसटी नंबर कम्पनी के पते पर लिया गया. फिर इस बात पर मूल्यांकन कमिटी के काबिल अधिकारियों का ध्यान क्यों नहीं गया ? बहुत अहम सवाल है जिसकी जांच से इस भ्रष्टाचार की कई और परतें खुलेंगी.

यहाँ जीएसटी नंबर होना भी इस टेंडर की आवश्यक शर्तों में से एक थी. यहाँ मज़े की बात ये है की 2019 में ग्राम विकास समिति के पास कोई जीएसटी नंबर नहीं था मगर वहां भी मूल्यांकन कमिटी में बैठे अधिकारीयों को ये खामी नज़र नहीं आयी. और ग्राम विकास समिति टेंडर में अयोग्य होते हुए भी भाग लेती रही. लेकिन जब बात इसी टेंडर प्रक्रिया में एल-1 हो गयी समिति में यू सी आई एल एन बी एस एस एस एस जादूगोड़ा को इस गेम से बाहर निकालने की आयी तो उनका कार्यादेश यह कहते हुए रद्द कर दिया गया की उनके पास सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत झारखण्ड सरकार द्वारा निर्गत निबंधन का प्रमाण -पत्र नहीं है. इसके लिए अधिकारीयों की पूरी लॉबी लग गयी और तब तक लगी रही जबतक मे० यू सी आई एल एन बी एस एस एस एस जादूगोड़ा को इस प्रक्रिया से बाहर नहीं निकाल दिया गया.

जब टेंडर में भाग ले रही ग्राम विकास समिति के कोषाध्यक्ष को यह याद आया की जीएसटी नंबर भी देना है तो उसने दो साल बाद जीएसटी पोर्टल में जाकर नए जीएसटी नंबर के लिए आवेदन डाला और अपने जीमेल इनबॉक्स में भेजे गए विभाग के पावती सन्देश की कॉपी करके उसे अनुमोदन कमिटी के लोगों को उपलब्ध करवा दिया. मज़े की बात ये है की ये जानते हुए की ये वैध जीएसटी नंबर नहीं है और इसकी कोई प्रमाणिकता भी नहीं है इस बात से भली भान्ति परिचित होते हुए भी मूल्यांकन कमिटी के लोगों ने सुखो मुखी उर्फ़ टिकी मुखी के आदेश पर उसे जीएसटी नंबर मान लिया. इससे एक बात का तो साफ़ पता चलता है की अगर यूसिल में अधिकारीयों के साथ आपकी अच्छी सेटिंग है तो फर्जी दस्तावेजों के सहारे यहाँ काम करके पैसा कमाना बहुत आसान है. क्योंकि यहाँ नियम कानून कुछ नहीं हैं अगर अधिकारी संतुष्ट तो फिर किसी की क्या मजाल है की आपको खुलेआम चोरी करने से कोई रोक दे.

दस्तावेज के अनुसार मुखी समाज विकास समिति और उसके एक मात्र कर्ता-धर्ता टिकी मुखी ने किस प्रकार यूसिल के जिम्मेदार अधिकारीयों की मिलीभगत से लगातार 6 वर्षों तक कम्पनी के सीएमडी और तकनिकी निदेशक के नाक के नीचे खुलेआम नियमो के विरुद्ध जाकर दस्तावजो का फर्जीवाडा करके करोड़ों के वारे-न्यारे किये और मनमाना रेट पर टेंडर डाल कर कम्पनी को जम कर करोड़ों रुपयों का चूना लगाया. आंकड़े और दस्तावेज इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. हालाँकि इन गंभीर प्रकरणों की केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा गहन जांच की जा रही है. सूत्रों का कहना है की जिस दिशा में जांच जा रही है संभव है की कुछ अधिकारीयों को अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़े. क्योंकि मामला कम्पनी के साथ धोखाधड़ी करके आर्थिक अपराध को प्रश्रय देने का है.

इस पूरे प्रकरण का सबसे दिलचस्प पहलु ये है की टिकी मुखी जो विगत 3 दिसंबर को ही शराब दूकान में हंगामा करने के आरोप में रातभर हवालात की हवा खाकर माफीनामा लिखकर किसी तरह पुलिस हिरासत से छूट पाए. पुलिस रिकॉर्ड में थाना के दलाल के रूप में उनका नाम अंकित है कम्पनी के अधिकारीयों के इस कदर सिरमौर बने हुए थे की जहाँ कम्पनी के कर्मचारियों को यूसिल आवासीय कॉलोनी जादूगोड़ा में कम्पनी क्वार्टर पाने के लिए सालों अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है और जब क्वार्टर मिलता है तो कम्पनी उनसे उस क्वार्टर का किराया और बिजली का बिल वसूल करती है. मगर टिकी मुखी ने कम्पनी के अधिकारीयों पर ऐसा कौन सा जादू कर रखा था की इन्हें कम्पनी का कर्मचारी न होते हुए भी 07 जुलाई 2015 में बिना किसी शुल्क के यानी की एकदम मुफ्त में कम्पनी क्वार्टर (A -45/355) देकर नवाज़ा गया. जहाँ बाकायदा एयर कंडीशनर लगा कर टिकी मुखी मजे से रहते हैं. इसके लिए बाकायदा कम्पनी के महाप्रबंधक चंद्रहास शर्मा के हस्ताक्षर से 24 सितम्बर 2015 को एक आदेश निकाला गया. कम्पनी को अपना खून -पसीना देने वाले कर्मचारी आजतक इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं की टिकी मुखी को किस हैसियत से मुफ्त कम्पनी क्वार्टर दिया गया? क्योंकि वो न तो कम्पनी का कर्मचारी हैं, न ही कम्पनी की किसी कमिटी का सदस्य है तो फिर नियमो से हटकर उसे क्यों कम्पनी की आवासीय सुविधा से नवाज़ा गया वो भी बिलकुल मुफ्त जो आज तक जारी है.

सूत्र बताते हैं की गौर चन्द्र नायक नामक यूसिल के एक अधिकारी जो प्रबंधक ( सुरक्षा / औ० सं० ) के पद पर कार्यरत थे टिकी मुखी के ख़ास हुआ करते थे. इस पूरे गड़बड़झाला की सबसे अहम कड़ी वही हैं. दस्तावेज भी यही संकेत करते हैं नायक ने किस प्रकार इस भ्रष्टाचार को प्रश्रय देने के लिए अपने पॉवर का दुरूपयोग किया. उसने टिकी मुखी के प्रतिस्पर्धी ठेकेदारों को गलत हथकंडो का प्रयोग करके बाहर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.


इस बारे में कम्पनी के उप-महाप्रबंधक (कार्मिक/औ० सं०) राकेश कुमार का कहना है की टेंडर घोटाला की जांच कम्पनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी कर रहे हैं. वंही टिकी मुखी के मुफ्त आवास आवंटन के मामले में उन्होंने कहा की पूर्व में ये क्वार्टर टिकी मुखी को आवंटित किया गया था. किस नियम के तहत किया गया था इसकी जांच की जा रही है. दस्तावेजों को देखने के बाद इस प्रकरण में जो भी नियम सम्मत कारवाई होगी वो की जायगी.

वैसे एक बात तो है की टिकी मुखी को मुफ्त क्वार्टर प्रकरण के बाद जादूगोड़ा क्षेत्र की उन सभी समितियों और राजनैतिक संगठनो के लिए भी यूसिल कॉलोनी जादूगोड़ा में मुफ्त आवास के आवंटन का रास्ता खुल गया है. अब जादूगोड़ा क्षेत्र की सभी निबंधित समितियां और पार्टी नेता भी टिकी मुखी की तर्ज पर कम्पनी से मुफ्त आवासीय सुविधा की मांग करने के लिए मांग पत्र प्रबंधन को जल्द ही सौंपेंगे. अभी इस टेंडर घोटाले के और भी कई हैरतंगेज रहस्य खुलने वाले हैं जो जल्द ही सामने लाये जाएंगे.

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