Chaibasa:- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 दिसंबर 1994 को अपने संकल्प 49/214 में निर्णय लिया था कि विश्व के आदिवासियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाएगा. यह तारीख 1982 में आदिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्यदल की पहली बैठक का दिन है. इसी बैठक के स्मरण में 9 अगस्त को प्रतिवर्ष अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है. ITI कॉलेज छात्रवास में छात्रों को सम्बोधित करते हुए मुख्य संयोजक मुकेश बिरुवा ने उक्त बातें कही.
उन्होंने कहा कि विश्व के लगभग 90 से अधिक देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. दुनिया भर में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है. जिसमें लगभग 5000 अलग-अलग आदिवासी समुदाय है और इनकी लगभग 7 हजार भाषाएं हैं. इसके बावजूद आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. अस्तित्व बचाने की लड़ाई में आज बच्चे, बूढ़े और जवान सभी को जागरूक होने की ज़रूरत है और अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता को पुन: स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कड़ी है. भारत के आदिवासियों को बहुत सारी संविधानिक एवं क़ानूनी अधिकार मिले तो हुए हैं. लेकिन एकजुटता की कमी के कारण सरकारें आश्वासन देकर छोड़ दे रही है और युवा वर्ग किसी और काम में मग्न है. जिसका फ़ायदा सरकारें स्वार्थ सिद्दी वाले कामों में लगा रही है. छात्र और छात्राएँ बड़ी संख्या में अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस आयोजन में शरीक होकर आदिवासी समाज के इस संघर्ष की धार को तेज कर सकते हैं. छात्रों को रवि बिरूली एवं युवा महासभा के अध्यक्ष डॉक्टर बबलु सुंडी ने भी सम्बोधित किया.