Chaibasa:- कुडमी/‌ महतो अपने को आदिवासी सूची में शामिल कराने के लिए नियमों एवं तथ्यों को तोड़ मरोड कर लोगों के सामने प्रस्तुत कर रही है. राज्य एवं देश के आदिवासी को सारा वास्ताविक मालूम है सही जगह और सही समय पर सही जवाब जनता देगी. अब आदिवासी अपने अस्तित्व और स्मिता को बचाने के लिए एक जुट हो चुके हैं और आंदोलन शुरू कर दिए है. उक्त बातें राज्य की पूर्व शिक्षा मंत्री गाीताश्री उरांव ने कोल्हान आदिवासी एकता मंच के बैनर तले रविवार को आदिवासी हो समाज कला एवं संस्कृति भवन, हरिगूटू चाईबासा में कुड़मियों को आदिवासी सूची में शामिल कराने की मांग के विरोध में एक दिवसीय विचार गोष्ठी में बोल रही थी.

 

उन्होंने कहा कुड़मियों को आदिवासी किसी भी कीमत में बनने नहीं देंगे. कोल्हान के सभी आदिवासियों को मंच के बैनर तले एकजूट होकर आंदोलन को धार देकर समर्थन की है. उन्होंने कहा कि टीआरई ने हमेशा से कुडमी महतो को आदिवासी नहीं माना है. यह गोष्ठी मंच द्वारा आक्रोश बाईक रैली निकालने के बाद किया गया. गोष्ठी में कुड़मियों को आदिवासी का दर्जा ना देने की मजबूत दलीलों और दस्तावेजों के साथ विचारों को मंच पर रखा गया. गोष्ठी में पूर्व डिप्टी स्पीकर बिहार विधानसभा देवेंद्रनाथ चाम्पिया, रायमुल बानरा,रोशन पार्ट पिंगुवा, पूर्व विधायक चीत्रसेन सिंकु, सोमनाथ पाड़ेया, कृष्णा हाँसदा, संचु तिर्की,सुदर्शन भूमिज एवं अन्य वक्ताओं ने विचार रखा गया. सर्वसम्मति से मंच द्वारा प्रखंड व पंचायत स्तर तक कमिटी बनाकर युद्धस्तर पर आगे विशाल जनसभा आयोजन कर सरकार तक बातों को पहूँचाने की तैयारी की समीक्षा की गयी. विचार गोष्ठी प्रारंभ स्वागत भाषण मंच के अध्यक्ष देवन्द्र नाथ चांपिया और धन्यवाद ज्ञापन आदिवासी हो समाज युवा महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष डा. बबलू सुन्डी ने किया. वहीं मंच संचालन महासभा के उपाध्यक्ष केसी बिरूली और महासचिव यदूनाथ तियू ने किया. गोष्ठी में कुडमी/‌ महतो को आदिवासी सूची में शामिल नहीं होने संबंधी ऐतिहासिक आधार या सरकारी दस्तावेज, संविधान एवं विधि संगत तर्क, संविधान प्रदत्त विधि का बल प्राप्त रूढि या प्रथा के अंतर्गत कुडमी महतो का स्थिती, सर्वे सेटेलमेंट में तैयार वंशागत भू अभिलेख(खतियान) में आदिवासी की प्राप्त मान्यता, सीएनटी एक्त आदिवासी की प्राप्त मान्यता, आदिवासी सूची में शामिल होने संबंधी कुडमी/‌ महतो की पूर्व में समार्पित याचिकाएं खारिज स्थिती सहित अन्य कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं एवं तथ्यों पर विचार विमार्श किया गया.

विचार गोष्ठी में ये थे उपस्थित
विचार गोष्ठी में संगोष्ठी में आदिवासी हो समाज महासभा केन्द्रीय समिति, आदिवासी हो समाज महासभा सेवानिवृत संगठन, आदिवासी हो समाज युवा महासभा केन्द्रीय समिति, आदिवासी हो समाज महासभा-युवा महासभा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहंभूम, सरायकेला खरसावां, संथाल समाज, उरांव समाज चाईबासा, उरांव समाज चक्रधरपुर, मुंडा समाज, भूमिज समाज, पहाडिया समाज, ऑल इंडिया हो बैंकर्स वैलफर सोसाईटी, कोल्हान रक्षा संघ, आदिवासी सेंगेल अभियान, हो डॉक्टर एसोसिएशन, मानकी-मुंडा संघ, आदिवासी यंगर्स्ट युनिटि,कोल्हान, कोल्हान आदिवासी भूमि बचाओ आंदोलन मंच, आदिवासी अधिकार बचाओ मंच, कोल्हान आदिवासी युवा मोर्चा, खरसांवा, अन्य संगठनों सैकड़ों सक्रिया कार्यकर्त्ता एवं बुद्धिजीवि लोग सहित बिरसिंह बिरूली, रवि बिरूली, रेयांस समाड, बामिया बारी, मुरारी अल्डा, सुबेदार बिरूवा, प्रताप बिरूवा, विनोद सवैंयां आदि उपस्थित थे.

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