चाईबासा : सिंहभूम लोकसभा सीट के चाईबासा विधानसभा के बीहड़ नक्सल प्रभावित टोंटो के रेंगड़ाहातु में बनाए गए बूथ पर ग्रामीणों ने जमकर वोट डाले गए. कारण यह है कि यह क्षेत्र पिछले 20 वर्षों से नक्सलियों के कब्जे था.

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नक्सल प्रभावित क्षेत्र रेंगड़ाहातु पर तैनात सीआरपीएफ जवान

बता दें कि विगत 20 वर्षों से इस क्षेत्र पर नक्सलियों के कब्जे होने के कारण रेंगड़ाहातु की बूथ को रिलोकेट कर अन्य स्थानों पर मतदान करवाया जाता था. परन्तु इस बार पुलिस प्रशासन ने इस बीहड़ नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सीआरपीएफ के कैंप स्थापित करवा कर लगातार नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया. जिससे पुलिस जवानों को कई बार सफलता भी मिली हैं और नक्सली बैकफुट पर आए.

अपने मत का प्रयोग करने के लिए कतार में खड़े ग्रामीण

लोकसभा चुनाव को लेकर मतदान के लिए रेंगड़ाहातु, मुरमुरा, टेंसरा, सुईअम्बा के ग्रामीणों ने रेंगड़ाहातु में बनाये गए मतदान केंद्र में जमकर वोट डाले. मतदान के लिए सुबह से ही मतदान केंद्र में मतदाताओ की लंबी लंबी कतार लगी हुई थी. महिलाएं पुरुष मतदान करने पहुंचे थे. इधर, सीआरपीएफ के जवान चप्पे चप्पे पर तैनात रहे, सभी अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र तिरिलपोसी, रेंगड़ाहातु और बोरोई गांव में पिछले 20 वर्षों से वोटिंग नहीं हुई थी. उन सभी जगहों पर कड़ी सुरक्षा के बीच चुनाव संपन्न कराया गया है.

सीआरपीएफ की वज्र वाहन

बता दें कि रेंगराहातु में चार मतदान केंद्र बना गया थे. रेंगड़ाहातु में 1029, मुरमुरा में 825, टेंसरा में 1130, सुईअंबा में 1340 मतदाता है. जहां सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जगन्नाथ जेना और 40 सीआरपीएफ के जवानों और कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान संपन्न कराया गया है.

सहायक कमांडेंट जगन्नाथ जेना ने बताया कि नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में लगभग 20 वर्षों के बाद बूथ बना है और मतदान हो रहा है. पूर्व में नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने ने कारण यहां का बूथ दूसरे स्थान पर बनाकर मतदान कराया जाता था. जो काफी दूर होती थी और लोगो को मतदान करने वंहा जाना पड़ता था. सुरक्षा बलो द्वारा नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जाने के बाद नक्सली कमजोर हुए है. उन्होंने कहा कि पालीसाई में सीआरपीएफ कैंप में बनाए गया है, कड़ी सुरक्षा और भय मुफ्त वातावरण में लोगों ने लोकतंत्र के महापर्व में अपने मताधिकार मतदान का उपयोग किया और मतदान को लेकर मतदाता में काफी उत्साह देखा गया.

पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने कहा कि नक्सल प्रभावित तिरिलपोसी, रेंगड़ाहातु और बोरोई गांव में पिछले 20 वर्षों से वोटिंग नहीं हुई थी. इन तीनों गांव में पहली बार वोटिंग हो रहा है. वहां सीआरपीएफ के 67 कंपनी के अलावा पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा बल तैनात हैं.

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