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Chaibasa (चाईबासा) : हर तरह के शोषण से मुक्ति की राह दिखाने वाले महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी एवं इस युग के अग्रणी मार्क्सवादी चिंतक” कामरेड शिवदास घोष की 49वीं स्मृति दिवस के अवसर पर SUCI (C) झारखंड राज्य संगठनी कमेटी के बैनर तले घाटशिला के मार्क्सवाद-लेलिनवाद-शिवदास घोष विचारधारा अध्ययन केंद्र में एक भव्य जनसभा का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य भर के आम जनता बुद्धिजीवियों के साथ पश्चिम सिंहभूम की जनता भी शामिल हुए.

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कार्यक्रम की अध्यक्षता SUCI (C) केंद्रीय समिति सदस्य, पोलित ब्यूरो सदस्य एवं झारखंड राज्य सचिव कॉमरेड रॉबिन समाजपति ने की.

सभा के मुख्य वक्ता पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड अमिताभ चटर्जी ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा:कामरेड शिवदास घोष न केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. बल्कि वे एक दूरदर्शी मार्क्सवादी चिंतक भी थे। उन्होंने भारतीय समाज की वर्गीय संरचना, पूंजीवादी शोषण, जातिगत भेदभाव और सांप्रदायिक विभाजन की गहराई से विश्लेषण कर यह स्पष्ट किया कि समाज में मौलिक परिवर्तन केवल क्रांतिकारी वर्ग संघर्ष और सच्चे साम्यवाद के माध्यम से ही संभव है.

आज जब देश में आर्थिक विषमता, बेरोजगारी, सांप्रदायिकता और पूंजीवादी लूट चरम पर है. ऐसे समय में शिवदास घोष के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं. उन्होंने हमेशा कहा कि शोषण की हर व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के लिए जनता को संगठित, शिक्षित और राजनीतिक रूप से जागरूक होना होगा.

मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन की शिक्षाओं को भारतीय संदर्भ में सटीक ढंग से समझाते हुए. उन्होंने वैज्ञानिक समाजवाद की उस वैचारिकी को जन आंदोलन का आधार बनाया जो आज की जरूरत है. उनके विचार सिर्फ किताबी नहीं थे – वे क्रांतिकारी प्रैक्टिस में यकीन करते थे.

उन्होंने बार-बार आगाह किया था कि संसदीय राजनीति में फंसकर जनता को असली संघर्ष से दूर करना एक धोखा है. उनका कहना था कि सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन ही असली लक्ष्य होना चाहिए.

आज जब पूंजीवादी ताकतें हर मोर्चे पर मेहनतकश जनता के अधिकारों को कुचलने में लगी हैं. तब हमें शिवदास घोष के विचारों को व्यापक स्तर पर फैलाना है. यह हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि हम उनकी वैचारिकी को लेकर गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले में जाकर एक जुझारू जन आंदोलन खड़ा करें.

सभा में मंच पर झारखंड राज्य संगठन कमेटी के सभी वरिष्ठ सदस्य उपस्थित रहे और उन्होंने भी अपने विचार व्यक्त किए.

इस अवसर पर झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों से आए सैकड़ों प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कर कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया.

सभा में उपस्थित आम जनों ने पूरे उत्साह और जोश के साथ कामरेड शिवदास घोष के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की समाप्ति पर क्रांतिकारी नारों के साथ जनजागरूकता का संदेश दिया गया.

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