Jamshedpur, Abhishek Kumar :- 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पटखनी देते हुए दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता हेमंत सोरेन ने साफ कर लिया. सूबे की विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्य में बेरोज़गारी के आँकड़े जारी किये. ये आँकड़े जनता और सरकार को परेशान करने वाले थें. गुड गवर्नेंस को पटरी पर लाना राज्य सरकार के लिये चुनौती है. लेकिन एक और चुनौती जो हेमंत सरकार के सामने है. जमशेदपुर की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था.
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ऐसी कई और समस्याओं से जूझ रहा पूर्वी सिंहभूम का स्वास्थ्य क्षेत्र दशकों से दलदल में धंसता जा रहा है. राज्य के जिला अस्पतालों से संबंधित सीएजी (कैग)की विशेष रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट में वर्ष 2014-2019 में अस्पताल में भर्ती मरीजों मैटरनिटी सर्विस इंफेक्शन कंट्रोल की रिपोर्ट शामिल है. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक मरीज की गंभीर अवस्था के लिए राज्य के कुछ ज़िलों में इसकी व्यवस्था है. पूर्वी सिंहभूम ज़िले के शहरी क्षेत्र के अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध है.लेकिन आवश्यकता के अनुसार कई सुविधाएं नहीं हैं. आईसीयू में 14 प्रकार की आवश्यक दवाइयों का होना जरूरी है. लेकिन कई दवाइयाँ भी आसानी से मरीज़ों को उपलब्ध नहीं हो पाती है. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में खाँसी ज़ुकाम की दवाइयाँ ही उपलब्ध है. गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों को निजी दवा दुकानों से ही महँगी दवाइयों को उपयोग में लाया जाता है.
सरकारी आँकड़े भी बताते हैं स्वास्थ्य व्यवस्था है खोखली
2011 की जनगणना के अनुसार ज़िले की जनसंख्या 22 लाख 93 हज़ार 919 है.ज़िले में 9 पीएचसी, 16 एपीएचसी और 242 एचएससी काम कर रहे हैं.जिनकी अनुपात जनसंख्या के मुताबिक़ बेहद ही कम है.ज़िले के सुदूरवर्ती क़स्बाई इलाक़ों में रहने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पाता है.
दम तोड़ती सांसे
पूर्वी सिंहभूम की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था कठघरे में है.असुविधा के अभाव में दम तोड़ती ज़िंदगी का आलम यूँ है की ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज़ों को शहर के रास्ते तक का सफ़र करने में साँसें बंद हो जाती है.पूर्वी सिंहभूम ज़िले में चिकित्सकों की संख्या 63 है. सृजन पदों की संख्या 175 है. एएनएम की ज़रूरत 291 है. इनकी संख्या 178 है. महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल(एमजीएम) में 779 स्वीकृत पदों में 233 पदों पर ही डॉक्टर पारा मेडिकल स्टाफ है. जिला स्वास्थ्य विभाग के 67.21% पद ख़ाली है.
आयुष्मान से क्या ज़िंदगियाँ बचा रहीं है..
राज़्य की राजधानी के प्रभात तारा मैदान से देश के प्रधानमंत्री के द्वारा शुरू की गई. आयुष्मान भारत पर आलोचकों ने इस योजना पर सवाल उठाते हुए कहा है कि गंभीर बीमारी की समस्या से जूझ रहे मरीज़ों को इसका संपूर्ण फ़ायदा नहीं मिल पाता है.
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