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Chaibasa (चाईबासा) : विश्व आदिवासी दिवस 2025 कार्यक्रम चाईबासा के सिंहभूम स्पोर्ट्स एसोसिएशन मैदान चाईबासा सादगी और पारंपरिक तरीके से मनाया गया। इस वर्ष का विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम दिसुम गुरु शिबू सोरेन को समर्पित करते हुए मनाया गया. कार्यक्रम में जिला के मनोहरपुर, गुवा, नोवामुंडी जमशेदपुर, रांची सहित राज्य के दूसरे स्थान एवं दूसरे राज्य से भी लोग काफी संख्या में मौजूद थे.

चाईबासा में विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम में भाग लेते लोग

विश्व आदिवासी दिवस के बहाने आज उनके अधिकारों की रक्षा की बात : मुकेश बिरूवा

कार्यक्रम की शुरुआत सभी आदिवासी समुदाय के पुजारी के द्वारा पारंपरिक तरीके से पूजा पाठ कर की गई. इसके बाद सभी आदिवासी समुदाय के अगुओं के द्वारा सामूहिक गोवारी अर्थात प्रार्थना आयोजित की गई. साथ ही कार्यक्रम स्थल पर स्व शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देते हुए 2 मिनट का मौन धरना किया गया. कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा, खरसावां के विधायक दशरथ गगराई, जिला प्रशासन के पदाधिकारी सहित काफी संख्या में अतिथि और स्थानीय लोग मौजूद थे.

विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम में शामिल स्थानीय लोग

इन्होंने प्रस्तुत के सांस्कृतिक नृत्य

भारत मुण्डा समाज नृत्य टीम, उराँव समाज बान टोला नृत्य टीम, नदीपार उराँव समाज नृत्य टीम, हो ट्रेडिशनल सुसुन टीम हरिगुटू चाईबासा, संथाल समाज नृत्य टीम, फुलहातु उराँव समाज नृत्य टीम, पुलिस लाईन नृत्य टीम, उराँव समाज मेरी टोला नृत्य टीम, हो समाज नृत्य टीम ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया.

इस विषय वस्तु पर समाज के द्वारा रखी गई बातें

आदिवासी युवाओ का आधुनिक युग में भविष्य और चुनौतियां, आधुनिक युग में आदिवासी भाषा-लिपि का संरक्षण एवं विकास, झारखंड में स्थानीय और नियोजन नीति, आदिवासी/ सरना कोडा- अस्तिव, अस्मिता और पहचान, पेसा 1996/रूढ़ि जन्य पारंपरिक व्यवस्था एवं स्वायत स्वशासन, आदिवासी भाषा दशक में भाषा, धर्म और धर्मातरण से बचाव आदि विषय पर विचार रखा गया.

मंच पर उपस्थित लोग

इन्हें किया गया सम्मानित

कार्यक्रम स्थल से 50 से अधिक लोगों को सम्मानित किया गया. जिसमें झारखंड लोक सेवा आयोग में उत्तीर्ण अभिषेक पिंघुवा, कृति सिंह कुंटिया, प्रियंका हेम्ब्रम, संदीप बंकिरा, रसिका जामुदा, प्रीति देवगम, इपिल अंकिता हेम्ब्रम, अमनदीप बिरूवा, कश्मीरा हेम्ब्रम, अमंत पाड़ेया शामिल हैं. वहीं उत्कृष्ट कार्य किए हुए व्यक्ति का चयन जैसे : खेल, शिक्षा, कृषि, पर्यावरण, कला, समाजिक, स्वास्थ्य, पशुपालन, संस्कृतिक में बसन्ती बिरहोर, जितेन सोरेन, अजय जोंको, सोम सागर सिंकु, सुमन सौरभ सिंकु, आकाश हेम्ब्रम, लालू कुजुर, विश्वनाथ लकड़ा, पारस खलखो, विवके खलखो, लीसा बरहा, गणेश टोप्पो, अंकुल कच्छप, जयपाल सिरका, रमेश्वर बिरूवा, सुशीला बिरूवा, सोमा जेराई, जवाहर लाल बंकिरा, डॉ हिरेन्द्र बिरूवा, श्याम बोबोंगा, बिरसिंह तामसोय, कार्तिक चन्द्र नाग, डॉ. सृष्टि समान्ता, लखी मुण्डा, स्वीटी कुमारी, राज लक्ष्मी सिंकू आदि शामिल थे.

इनके लगे थे स्टॉल

कार्यक्रम स्थल पर पारंपरिक परिधान और व्यंजन के 100 से अधिक स्टॉल मौजूद थे. जिसमें सविता सिंकु, अमर लकड़ा, कला मंदिर संक्शन एस.एच.जी. फेडेरेशन, सेकोर बनम (सतीश समद), प्रियंका कालुन्डिया, बन्धुराम सोय (जनजातिया पुस्तक), प्रश्न बिरुआ, सुमी हेम्ब्रम, शशशिकला पूर्ति, सुनिता बारी, पीरू होनहागा, पंकज खलखो, बिमला बरहा, राजु राज बिरूली, कौशल्या कुजुर, सन्नी पूर्ति, सन्नी पूर्ति, मीना बिरूली, बिरुआ टेक, हो डॉक्टर एसोसिएशन, केंद्रीय अधिकोष, पिंकी सार्वैया, देवांश पाडेया, बिरुआ मशिन, संचु तिर्की, अंकुश कच्छप, रोहित खलखो, गीता हेम्ब्रम, डी० सुन्डी, बीरसिंह बालमुचू, आशा बिरूवा, नामलेन सुशावन पुरति, नम्रता सुरीन, अमीशा विकाश पाड़ेया, आर.एस.सी.टी.आई, किरण देवगम, जानकी सिंकू, नन्दनी मुन्दुझ्या, अनुज दोंगो, अनुज दोंगो, हीरामनी देवगम, जया सिंकु, राखी बिरूली, हेमलता पूर्ति, सुती बिरूवा, निरज बालमुचू, राज नंदनी जेराई, ललिता कुजुर आदि के स्टॉल लगाए गए थे.

 

कार्यक्रम को सफल आयोजन के लिए हो, मुंडा, संथाल, उरांव, बिरहोर, खड़िया, लोहार, मानकी मुंडा सहित 40 संगठनों के आदिवासी शामिल थे. कार्यक्रम को सफल करने में आयोजन समिति के अध्यक्ष इपिल सामड, संयोजक गणेश पाट पिंगुआ, उपाध्यक्ष लाल कुजूर, सचिव रवि बिरुली, कोषाध्यक्ष संजय लागुरी, सह संयोजक राजकमल पाट पिंगुआ, सह सचिव अशोक कुमार नाग, सहित सभी समाज एवं संगठनों के पदाधिकारी एवं अगुवाओं का काफी योगदान रहा.

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