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Chaibasa (चाईबासा) : पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित सारंडा के घने जंगल में हुए घायल हाथी की बीती रात मौत हो गई है. घायल हुआ हाथी पिछले 11 दिनों से जख्मी पैर लेकर जंगल मे घूम रहा था. शनिवार को ओडिशा झारखण्ड की वन विभाग की टीम और गुजरात की वनतारा की टीम ने हाथी को ट्रंकक्युलाईज़ कर हाथी का ईलाज करना शुरू किया था. लेकिन इलाज के क्रम में हाथी ने दम तोड़ दिया है.

सारंडा में 6 साल का हाथी हुआ गंभीर रूप से घायल, वन विभाग की 6 टीम जंगल मे कर रही तलाश, IED से हाथी नही हुआ घायल

घायल हाथी की हुई मौत

बता दें कि गुजरात के जामनगर स्थित वन्यजीव संरक्षण संस्थान “वनतारा” से विश्व की सबसे बड़ी रेस्क्यू टीम घायल हाथी को रेस्क्यू करने एवं जान बचाने के लिए बुलाया गया था. घायल हाथी पिछले 11 दिनों से जंगल में इधर-उधर भटक रहा था. जिसे वन विभाग ने कुछ दिनों पूर्व ट्रेस किया था. समय रहते अगर वन विभाग की टीम द्वारा हाथी को खोज कर उसका इलाज किया जाता तो हाथी को बचाया जा सकता था.

गुजरात वनतारा से आयी विशेषज्ञ टीम भी नही बचा सकी

लेकिन जब घायल हाथी की जानकारी मिली तभी से झारखंड और उड़ीसा के वन विभाग विशेषज्ञ की टीम घायल हाथी को ट्रेस कर रेस्क्यू करने में लगी हुई थी. गुजरात वनतारा की विशेषज्ञ टीम भी पहुंच गई थी और घायल हाथी को रेस्क्य में जुट गई थी. हाथी को बेहोश करने के लिए ट्रॅकुलाइजेशन दिया गया. जिसके बाद हाथी उठा ही नहीं और उसकी मौत हो गई. वन विभाग की टीम अधिकारियों के देखरेख में मृत हाथी का पोस्टमार्टम कर, मृत हाथी को दफनाने की तैयारी की जा रही है. जिसके लिए जेसीबी से गड्डा भी खोदा गया है.

विशेषज्ञ टीम द्वारा ट्रेंकुलाइजेशन को लेकर बताया गया कि नियमों के अनुसार हाथी को केवल एक बार ही ट्रेंकुलाइज किया जा सकता है. गुजरात की वनतारा टीम द्वारा घायल हाथी को रेस्क्यू करने और उपचार कर जान बचाने का प्रयास किया गया, मगर घायल हाथी को बचाया नहीं जा सका और उसकी मौत हो गई.

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